बुधवार, 25 दिसंबर 2019

जो स्वयं में समर्पण

रात जुगनु में जिसको उजाला दिखे,
दोपहर को अंधेरा वो बताता रहा,
जो स्वयं में समर्पण सुन लो प्रिये,
वो स्वयं को स्वयं भू बताता रहा,
जग ये जिसको अनुपम अनूठा कहे,
फूटी क़िस्मत वो खुद की बताता रहा,
ध्येय का देवता जग ये कहता रहे,
ऐसा कुछ भी नही वो बताता रहा,
जिसके पीछे है देखो दुनिया चले,
खुद को वो अकेला क्यूँ कहता रहा,
जिसको खाने में है देखो सब कुछ मिले,
बासी रोटी की लालच वो करता रहा,
जिसके पैरों में मखमल का गद्दा बिछे,
काँटों पर ही अक्सर वो चलता रहा,
जिसका वैभव स्वयं लक्ष्मी है कहे,
वो स्वयं को यूँ निर्धन बताता रहा,
जग ने जिसको अपना सबकुछ दिया,
मोह माया वो जग को बताता रहा,
वेदना क्या उसे जग क्या अब कहे,
ख़ुद को दोषी व कायर वो कहता रहा,
चाहे दुःख हो उसे चाहे सुख हो उसे,
यादकर वो तुम्हे सब यूँ सहता रहा,
लक्ष्य जिसके कदम चूम जाती रहे,
वो स्वयं को मुसाफ़िर समझता रहा,
रात जुगनु में जिसको उजाला दिखे,
दोपहर को अँधेरा वो बताता रहा।।।।।।।

धन्यवाद

बुधवार, 18 दिसंबर 2019

अपने दिल से हम

अपने दिल से अब हम भुलाने लगे,
बढ़ गई दूरियाँ दूर जाने लगे,
वो किसी संग जो नज्र आने लगे,
उनके बिन अब हम गुनगुनाने लगे,
तुम बिन माना संगम अधूरा रहे,
फिर भी ख़ुद से तुमको मिटाने लगे,
दूरियाँ बढ़ गई दूर जाने लगे।1।

सुन लो तुमने किया जो खुदगर्ज था,
मैं कहा तो नही जो मेरा दर्द था,
उस दर्द ए जिगर को मिटाने लगे,
बढ़ गई दूरियाँ दूर जाने लगे।2।

कुछ तुम्हारी वजह जान ये जान लो,
कुछ थी मेरी सजा जान अब मान लो,
हम जुदा जो हुए तो वजह ये बनी,
मेरी बातों में तुम  हक़ जताने लगे,
अपने दिल से अब हम भुलाने लगे,
दूरियाँ बढ़ गई दूर जाने लगे।3।

अब न चैनों अमन मेरे दिल को मिले,
तुम बिना श्याम बूझो कैसे जिए,
सांस तुमको बनाया उसी सांस को,
सुन लो अब ये सितमगर दबाने लगे,
अपने दिल से अब हम भुलाने लगे,
दूरियाँ बढ़ गई दूर जाने लगे।4।


शनिवार, 23 नवंबर 2019

हम मिल न सके....

धूप भी वही था मौसम भी वही था,
पर इस बार इंतज़ार में मैं नही था,
पता चला आज अपने ख़ास से यारों,
जिंदा तो है वो पर जिंदादिल नही था।।।

मेरी बेवफ़ाई ने उसको इतना निचोड़ा था,
उसे मोहल्ले में रहने लायक न छोड़ा था,
जमाने ने ताने सुनाकर  परेशान किया था,
मेरे बदलते मिज़ाज ने हैरान किया था।।

करता क्या मैं वक़्त का खेल ही ऐसा था,
किस्मत के पेपर में मैं पहले जैसा था,
इस बार मेरे साथ वो शख्स भी रोया था,
मुझसे बिछड़कर वो भी न सोया था।।

जिंदगी आज भी तनहाई में उसे पुकारती है,
रात भर उसकी तसवीर आँखे निहारती है,
जो साथ मिला था कुछ लम्हों का ज़ानिब,
अब वही सोचकर हर रात गुजारती है।।।

हम मिल न सके इतना तो सबको पता है,
पर ये लड़का आज भी सिर्फ उसी का है,
बंधन बंध न पाया कोई बात नही नन्हों,
पर मेरी जान मेरी ईमान सब उसी का है

शुक्रवार, 15 नवंबर 2019

कुछ वक़्त दे दे .....

कुछ वक़्त दे मुझे ए मेरी बिगड़ती जिंदगी,
मैं तो खुद  लड़खड़ाते हुए सम्भल जाऊँगा।।

थोड़ा सब्र कर लो ए दुनिया के रहनुमाओं,
जो ख्याब अधूरे  उनको पूरा कर जाऊँगा।।

माना कि हार हर बार हुई मंजिल पाने की
पर  वक़्त तो दो सिकन्दर मैं भी बन जाऊँगा।।

मन  मेरा मझदार में फंसा है तो क्या हुआ,
किनारों पर ज्वार के साथ बह चला जाऊँगा।।।

यक़ी नही  मेरे किरदार पर पता है यारों,
यकी कर दिखाओ तभी दुनिया बदल पाऊँगा।।।

राम रहमान की इस  धरती पर जन्म लिया है,
ऐसे कैसे अलविदा कहकर निकल जाऊँगा।।।

जरा गौर से देख लूँ इनके शानों करम को,
फिर बात मैं भी भरी महफ़िल में रख पाऊँगा।।

माना कि मैं ज़ाहिल गवाँर  इस बड़े जहान का,
जरा वक़्त दे दो तुलसी बनकर छा जाऊँगा ।।

तुमको साथ न दे पाया मेरी प्यारी नन्हों,
समय आने दो मैं तुम्हारा हि हो जाऊँगा ।।

ले न पाया ख़ुदा का नाम तू भी तो खुदगर्ज़,
वक़्त के साथ माटी का माटी में  जाएगा।।

जिम्मेदारियों का बोझ आ गया तुम पर यार
सब्र कर लो निशा दिनकर संग चला जाएगा।।

जो नफ़रत करते हो उसके रक़ीब से यारों,
हालात इधर जान लो इश्क़ फिर हो जाएगा।।


दोस्त सखा  साथी सबकुछ कहते हो मैं माना,
मुश्किल आने पर यार का पता चल जाएगा


कोहरा होने दो आसमाँ के उस कोने में,
जमीन से ही मैं आफताब सा जल जाऊँगा।।।

कह रहा हूँ कह लेने दो सबकी हक़ीक़त को,
क्या पता कल गीत ग़ज़ल से कुछ न कह पाऊँगा।।

श्याम को उसके साथ होने का फ़र्क न पड़ता,
उसके बिना भी ग़ज़ल को मैं अब कह पाऊँगा।।।

शनिवार, 12 अक्टूबर 2019

पिता जी.....

शायद कभी मैं ये कह न पाऊँ,
पर अपनी हर परेशानी में मैं,
ख़ुद से ज्यादा आपको दुखी पाऊँ,
मुझे आज भी याद है कि,
बचपन में मैं जब कभी,
मैं बीमार होता था तो,
रात भर आपका हाथ,
मेरे सर के पास होता था,
 याद है आपको वो जब,
मेरी वजह से आप यूँ ही,
रात भर न सोये थे,
मेरे पास न होने पर,
आप भी तो रोये थे,
मेरे हर गलती पर,
मुझे डाँटकर समझाते थे,
और मेरी नाराज़गी पर,
मुझे बड़े प्यार से,
अपने पास बुलाते थे,
मेरे ख्याबों को आपने,
अक्सर हक़ीक़त में बदला,
मुझे पता है आपने ,
मेरी वज़ह से घर बदला,
मेरे एक शिकायत पर,
सारे जहान से लड़े थे,
मेरे साथ साया बनकर,
हर वक़्त खड़े थे,
शब्द नही है मेरे पास,
की मैं आप का गुणगान करूँ,
बस यही दुआ है कि,
मैं सारी जिंदगी आपका,
भगवान से बढ़कर सम्मान करूँ,
कभी जनम लूँ दोबारा,
तो आपका प्यार मिले,
ऐसी अर्जी है मेरी,
सातों जनम आपका,
ऐसा ही साथ मिले....

A Tribute To All Father's Of World..


रविवार, 6 अक्टूबर 2019

जमाने की सच्चाई..

मन समझ न पाया अब तक ये,
कैसा है जग का रंग भला,
परिणाम रहे अनुकूल तुम्हारे,
तुमसे प्यारा कोई और नही,
प्रतिकूल चुनौती मिली तुम्हे,
काँटा हो तुम कोई फूल नही,
सफल यदि तुम होते हो,
तुमसे संबंध बनाता है,
विपदा हो जो आन पड़ी,
तुम कौन हो ये दोहराता है,
पल भर मे तेरे साथ खड़ा,
पल भर में है ये दूर पड़ा,
मन समझ न पाया अब तक ये,
कैसा है जग का रंग भला,
है कौन तुम्हारा कौन पराया,
पल भर में पता चल जाता है,
विपदा जब पाँव जमाती है,
सम्बन्धी भूल ही जाता है,
यदि पैसे से हो जेब भरी,
दुख दर्द तुम्हारे सह लेगा,
जो निर्धन बनकर जाओगे,
दुत्कार तुम्हे ये हँस देगा,
मन समझ न पाया अब तक ये,
कैसा है जग का रंग भला,
इक बात कहूँ तुम सबसे मैं,
कर्तव्य हमेशा करते ही रहो,
सफल असफल इक पहिया है,
अमावस में अकेले जगते रहो,
दिनकर कभी तो निकलेगा,
ये रात्रि पहर भी बिछड़ेगा,
जब नया सवेरा आएगा,
जग गीत तुम्हारे गाएगा,
तुम सच्चाई की राह चलो,
झक मार के मंजिल आएगा,
मन समझ न पाया अब तक ये,
कैसा है जग का रंग भला।।।।।।

बुधवार, 2 अक्टूबर 2019

मैं ऐसे अकेले...

मैं ऐसे अकेले न गुपचुप सा सोता,
जो तुमने हमें यूँ भुलाया न होता,
मुझे न पता था फ़रेबी है दुनिया,
झूठी ही मुझसे मिलती थी अखियाँ,
तुम्ही ने था मुझसे वादा किया जो,
मुझे तुम गीतों गज़लों में साजों,
हमारी तड़प को था तुमने बढ़ाया,
वात्सल्य बेचारा समझ भी न पाया,
पता न था ऐसे तुम भी करोगी ,
झूठे थे वादे  व कसमें कहोगी,
कभी न भूलूँ जो तुमने किया है,
फ़रेबी है दुनिया बता जो दिया है,
उस दिन था रोया था आँखे पिरोया,
तेरे ख्याब आके कोई जब था सोया,
यही था जो करना तो क्यूँ दिल लगाया,
मेरे साथ सपनों को क्यों था बसाया,
निभाना नही था तो वादा किया क्यों,
इरादा नही था तो साथी कहा क्यों,
हमारे यकीं को था तुमने जो तोड़ा,
अभी तक किसी ने उसे न है जोड़ा,
मेरा दिल है रोता बहुत दर्द होता,
तेरी याद आती तो रातें न सोता,
तुम्हारी अभी भी शामें वही है,
मैं तो नही कोई और भी हसीं है,
मेरा क्या है मैं तो ऐसे ही रोता,
तेरी ही यादों में अब भी हूँ खोता.....

मंगलवार, 24 सितंबर 2019

बताओ क्या कहलाते है???

ये रिश्ते ये नाते,
चलो सब कुछ निभाते है,
उससे पहले हम आपके,
और आप हमारे,
बताओ क्या कहलाते है??।1।

ये कसमे ,ये वादें
ये दूरियाँ ये मजबूरियां
चलो सब तोड़ आते है
उससे पहले हम आपके,
और आप हमारे,
बताओ क्या कहलाते है???।2।


ये बंधन ये चंदन,
ये रिश्तों का संगम
चलो सब तोड़ आते है
उससे पहले हम आपके,
और आप हमारे,
बताओ क्या कहलाते है???।3।

ये किस्से ये कहानियाँ,
ये प्यार की निशानियां,
चलो सब आजमाते है
उससे पहले हम आपके,
और आप हमारे,
बताओ क्या कहलाते है???।4।

वो लैला वो मजनू
वो हीर की राँझा,
चलो सब बन जाते है
उससे पहले हम आपके,
और आप हमारे,
बताओ क्या कहलाते है???।5।


ये अंगूठी ये पाजेब
ये साड़ी ये डिब्बे,
चलो सब दे आते है
उससे पहले हम आपके,
और आप हमारे,
बताओ क्या कहलाते है???।6।

ये बिरहा ये दूरी
ये पल पल की मजबूरी,
चलो सब खत्म कर आते है
उससे पहले हम आपके,
और आप हमारे,
बताओ क्या कहलाते है??।7

ये अजीज वो बदतमीज,
ये दुनिया की खीझ,
चलो सब बदल आते है
उससे पहले हम आपके,
और आप हमारे,
बताओ क्या कहलाते है??।8।

मैं पति वो पत्नी
ये रिश्तो की चटनी,
चलो मिलकर बनाते है
उससे पहले हम आपके,
और आप हमारे,
बताओ क्या कहलाते है??।9।

सोमवार, 23 सितंबर 2019

वो आज रो रही थी!!!!

वो आज रो रही थी!
कौन??
अरे वही!जिसके बग़ैर,
आजकल मुझे जीना नही आता है,
वही जो मेरी हर बात को,
दिल से लगाती है,
अरे पागल और कौन वही,
जो खुद रोकर तुमको भी रुलाती है,
अरे!और कौन वही,
जो मेरे ख्याब में अक्सर आता है,
न जाने क्यूँ वो अक्सर,
ऐसा ही करती है,
पलभर में हँसती और ,
पलभर में रो देती है!!!!
मैं उसको बदलती दुनिया तो,
कभी नही कह सकता!!!
क्योंकि वो सिर्फ मेरी है
और हमेशा रहेगी ऐसा कहा है उसने!!!!!
नही समझ पाए तुम ???
आज तक जब से वो मिली,
हम दोनों ने कभी बात भी न किया,
खुद से खुद का साथ न दिया,
उसके आगे मैं बेबस बन जाता हूँ,
सिर्फ उसी का रहना चाहता हूँ
......


वात्सल्य श्याम

मंगलवार, 17 सितंबर 2019

तू ही मेरे जीने का जरिया हो गया....

वो सबसे छिप कर तुझसे बातें करना,
तेरे कॉल के इंतजार में रात भर जगना,
यही मेरे जीने का जरिया हो गया,
मेरी बदलती जिंदगी का नजरिया हो गया।1।

पलभर की बातों को घंटों तक बताना,
जरा सा देर होने पर प्यार से समझाना,
इक़रार इजहार में अब ढलते शाम को बिताना,
सुबह उठकर फिर से तेरी याद में ढल जाना,
यही मेरे जीने का जरिया हो गया,
मेरी बदलती जिंदगी का नजरिया हो गया ।2।

बातों बातों में तेरा जोर जोर से खिलखिलाना,
बिना कुछ बोले अपनी तारीफ़ पर शर्माना,
डर के आगे जीतने का जज़्बा दिखाना,
अपने प्यार में सबकुछ भूल जाना,
फिर वही किस्सा दोबारा दोहराना,
आपसे बात करने का नया सा बहाना,
यही मेरे जीने का जरिया हो गया,
मेरी बदलती जिंदगी का नजरिया हो गया ।3।

वो पल पल की यादों में सिमटकर के रोना,
विरह के मौसम में यादों का कोना,
मेरे हर किस्से में तेरा जिक्र होना,
यादों में तेरी अक्सर अब खोना,
मेरे दोस्तों में अब  तेरी बात होना,
तेरा नाम आने पर यादों में खोना,
यही मेरे जीने का जरिया हो गया,
मेरी बदलती जिंदगी का तु ही नजरिया हो गया ।4।

वात्सल्य श्याम
SST

रविवार, 15 सितंबर 2019

मैं कसमें वादें

मैं कसमें वादें सबकुछ बनाये रखूंगा,
जो तेरा बना हूँ ताउम्र तेरा ही रहूँगा,
नजदीक तू नही तो क्या हुआ,
तेरी हर याद को अपने सिरहाने रखूँगा,
शहर को अपने वीरान बनाये रखना,
जब आऊंगा तो सूरज बन के जल जाऊँगा,
जो काजल लगाया उसको  आँखों में बनाये रखना,
आने पर तुम्हे शमा बुझने तक तकुंगा,
दुकानें आती है तो आने दो ,
पर तेरे इश्क़ की गली में ही अपने दिल के बाजार बनाएं रखूँगा,
चेहरा नम न रखूँगा ये दूरियाँ समझकर,
अपनी महफ़िल में तुमको बनाये रखूँगा,
पर तुम्हे भी मुझ पर एतबार रखना होगा,
दूर होकर भी अपने दिल के पास रखना होगा,
हुए होंगे कई लैला मजनु पर इन सबसे अलग,
इश्क़ की दुनिया मे इतिहास बनाए रखना होगा..........


वात्सल्य श्याम

#SST

रविवार, 8 सितंबर 2019

मैं गीतों में तुमको...

मैं गीतों में तुमको गाने लगा हूँ,
वजह तो नही मुस्काने लगा हूँ,
तेरा नाम सुनकर शरम अब है आती,
मेरे ख्याब में आकर अब है सताती,
तेरी बातों को अब मैं सुनने लगा हूँ,
महफिल में तुझको मैं बुनने लगा हूँ,
कहो तो तुम्हे अब मैं चन्दा कहूँगा,
कान्हा के जैसे अब मैं लीला करूँगा,
प्रेम के राग का मैं भी तर्पण करूँगा,
विरह गीतों का मैं भी अर्पण करूँगा,
सातों जनम की कसमें मैं खाऊं,
तेरा साथ पाने को मंदिर मैं जाऊँ,
न जाने कैसे मैं तुम्हे ये बता दूँ,
तेरे नाम मे अपना सरनेम लगा दूँ,
तुम्ही अब बताओ कि कैसे कहूँ मैं,
किस्से कहानी दिल के किससे कहूँ मैं,
तुम्ही अब बताओ तुम्ही अब सुनाओ,
महफ़िल में अपनी मुझे अब बुलाओ...

वात्सल्य श्याम

वो लड़की

जिम्मेदारियों से अपने अब वो बेचैन होगी,
पता लगा है अबकी बार वो 12th में होगी,
अपने आने वाले कल के ख्याब वो सजाई होगी,
मैं तो नही हूँ पर शायद मेरी यादों को उसमें बुलाई होगी,
सफल,असफ़ल , अच्छाई, बुराई अब सब कुछ तो  मिलेगा,
इसीलिए वो अब मन में थोड़ा सा घबराई होगी,
हो सकता हो माँ बाप ने जिंदगी के बारे में बतलाया होगा,
वजह यही है तभी तो कठिनाइयों को देख मुस्कुराई होगी,
पहले ही उसने इस दुनिया मे जीना सीख लिया होगा,
तभी तो मेरे इक़रार को वो इस तरह वो ठुकराई होगी,
ख़ैर कारण व परिणाम चाहे जो कुछ भी रहा होगा,
पर हर वक़्त मेरी शायरियों में खुद को पाई होगी,
और इन्ही  को देख वो रात भर आंखों को भीगाई होगी......

बुधवार, 4 सितंबर 2019

आदर्शों का अभिवादन

ज्ञान दिया, अभिमान दिया,
अज्ञानी को पहचान दिलाया,
कभी कभी जब राह भटकता,
पकड़ कलम तब मुझे चलाया,
ऐसे गुरुओं को वन्दन है,
उनके चरणों मे अभिनंदन है,
सातों जनम मैं ऋणी रहूँगा,
उन्हें सदा ही ध्येय कहूँगा..

मेरे सारे अध्यापकों व आदर्शों को मेरा शत शत प्रणाम...

🙏🙏🙏
वात्सल्य श्याम
युवा कवि, लेखक.

मंगलवार, 3 सितंबर 2019

कहो प्रिये क्या याद न आती

कहो प्रिये क्या याद न आती,
तुमको अब तो मेरी ,
कहो तुम्ही क्या अब न होती,
उन शामों को  देरी,
कहो फ़िकर क्या अब न होती,
जानू जाने जानाँ,
तुमको सूरज चाँद कहा था,
माना था इक तारा,
तेरी राह अभी भी तकता,
ये पागल बंजारा,
तुमने कहा था तुम अपनाओ,
मुझको अपना गीत बनाओ,
कहो की क्या अब गीत न गाऊँ,
भूला बिसरा न दोहराऊं,
सब कहते है भूल गई तुम,
तुम भी उसको याद न करना,
अपने ग़ज़ल की शायरियों में,
प्रीतम प्रीतम न रटना,
कहो तुम्ही अब ये तो बता दो,
क्या तुमको अब मैं बिसराउँ,
बिरहा वाले गीत ग़ज़ल को,
तेरी याद मैं भी गाऊँ,
पर तुमको तो खबर ये होगी,
बिन तुमको किसे सपने  सुनाऊँ,
कहो तुम्ही मैं अपनी राधा,
किस भामा को बतलाऊँ,
कहो प्रिये याद न आती ,
बाते अब तो मेरी,
कहो तुम्हे क्या अब न सताती,
सूरत अब वो मेरी.....

सोमवार, 2 सितंबर 2019

अनकही दास्ताँ

आज यूँ ही मुझे तेरी याद आ गई,
वो यादें जो कुछ दिन के लिए ही,
पर मेरे जिंदगी का एक अहम हिस्सा है,
चाहे मैं दुख में रहूँ या सुख में,
उन यादों को याद किए बगैर,
मेरी रात कटती नही है,
याद है न जब हमें किसी का,
डर नही  होता था,
तुम मेरी आँखों के सामने,
और मैं तुम्हारे दिल में होता था,
क्या दिन क्या रात,
हर वक़्त बस तेरी बात,
पुरे मोहल्ले को पता था कि,
हमें करनी है आपसे बात,
वही बात जो सब जानते थे,
सब तुमको हमारा मानते थे,
अक़्सर तुम्हारा नाम लेकर,
लोग हमें सताते थे,
और हम भी तो,
 तुम्हारे नाम को  सुनकर,
बेवज़ह मुस्कुरातें थे ,
याद है तुम्हे वो जब मैं रूठा था,
बिना कुछ कहे मैं तुमसे टूटा था,
तुमने मुझे बड़े प्यार से समझाया था,
और बिन कुछ कहे इशारों में,
हमे उस बात को बताया था
 ऐसे ही कुछ बीते लम्हों  को,
आज भी मैं जब याद करता,
कभी रोता तो कभी हँस पड़ता,
पर आज भी मेरे दिल में,
बस तू ही बसती है,
चाहे जो आये मेरी जिंदगी,
तेरे सिवाय मेरी आँखों को,
कोई और  न जंचती है.....

अनकही दास्ताँ.....


वात्सल्य श्याम

शुक्रवार, 16 अगस्त 2019

मतलबी दुनिया के यहाँ किरदार अनेक है,
हर दिन बदलती यहाँ सरकार अनेक है...

शुक्रवार, 9 अगस्त 2019

इश्क़-ए-वतन

               
1
सबसे प्यारा है मुझे ,
वतन की आन बान शान,
माँ भारती के लिए,
मान सम्मान  सब कुछ कुर्बान...


              2
धर्म भाषा जाति सबको पीछे छोड़ दिया,
जब से मैंने अपनी मातृभूमि से नाता जोड़ लिया...


               3
नही चाहता कि कभी तिरंगा झुक जाए
मेरे मरने पर सारा जहान रुक जाए,
ख्याहिश यही है मेरी कलम कुछ ऐसा लिख दे,
कि मादरे-ए-वतन से मुझे सच्चा इश्क़ हो जाये.....

मंगलवार, 6 अगस्त 2019

हम सबका वो अधिनायक है

शेर मिला है अबकी हमको,
भारत माँ की माटी से,
56 इंच अब देख लिया है,
उस शेर की छाती से,
सबने केवल हमें छला था,
लालच देकर वोट लिया था,
पर अबकी है मिला जो हमको,
वो सच्चा इक नायक है,
हम सबका वो अधिनायक है,
हम सबका वो अधिनायक है,
वीर शिवा की झलक दिखाता,
दुश्मन को वो मार भगाता,
नतमस्तक दुनिया है मानो,
उसकी सारी बातें जानो,
श्याम कहेगा अबकी ऐसा,
नही मिलेगा मोदी जैसा,
जनता सारी समझ गई है,
वो ही सच्चा नायक है,
हम सबका वो अधिनायक है,
हम सबका वो अधिनायक है,
राष्ट्र हित की बातें करता,
भारत माँ भारत माँ रटता,
देश की कैसे शान बढ़ा दूँ,
ऐसी बातें दिन भर करता,
अबकी लगता हमे मिला जो,
वो सच्चा इक नायक है,
हम सबका वो अधिनायक है,

वात्सल्य श्याम

रविवार, 2 जून 2019

लड़ना सिख लिया है...

ख़ुद से ख़ुद का लड़ना सिख लिया है,
मैंने अब तो जीना सीख लिया है,
क्यों गैरों से कहता फिरुँ मैं,
अपनों की वो दर्द कहानी,
ख़ुद को ही इतना समझाऊं,
कोई नही तू कर मनमानी,
इतनी जल्दी क्यों हारूँ मैं,
जिंदा  ख़ुद को क्यों मारूँ मैं,
माना कोई नही खड़ा है,
संघर्ष समय जो अभी भीड़ा है,
पर ख़ुद भी तो चलना सीखो,
अपनों से भी लड़ना सीखो,
सही कहे जो ग़लत तरीके,
तो उनसे तुम लड़ना सीखो,
कब तक यूँ ही  सुनते रहोगे,
ख़ुद से ही तुम लड़ते रहोगे,
तुमने भी तो सपना देखा,
अपने जीने का वो तरीका,
तो क्यों तुम चुप रहते हो,
दुनिया से न कहते हो....

बुधवार, 29 मई 2019

मृत्यु ......

देख लिया  मैंने भी दुनिया,
अब मरना बेकार नही ,
मृत्यु सत्य है, मृत्यु अटल है,
दुनिया से किंचित रार नही,
बहुतों को मैंने आते देखा,
बहुतों को मैंने जाते देखा,
पहले डरता जब ज्ञान नही,
अब जान गया संसार यही,
तो मृत्यु से न डरता हूँ,
भय मुक्त सा होकर चलता हूँ,
कर्म यही कुछ काम करूँ,
जग में मैं अपना नाम करूँ,
जब कभी बात अमर की हो,
मैं मृत होकर भी अमर रहूँ,
अब यही है आशा मन मेरे,
जग भूले न यह जतन मेरे,
अब मृत्यु से न डरता हूँ,
मैं निडर सा होकर चलता हूँ

यादें

आज यूँ ही मुझे तेरी याद आ गई,
वो यादें जो कुछ दिन के लिए ही,
पर मेरे जिंदगी का एक अहम हिस्सा है,
चाहे मैं दुख में रहूँ या सुख में,
उन यादों को याद किए बगैर,
मेरी रात कटती नही है,
याद है न जब हमें किसी का,
डर नही  होता था,
तुम मेरी आँखों के सामने,
और मैं तुम्हारे दिल में होता था,
क्या दिन क्या रात,
हर वक़्त बस तेरी बात,
पुरे मोहल्ले को पता था कि,
हमें करनी है आपसे बात,
वही बात जो सब जानते थे,
सब तुमको हमारा मानते थे,
अक़्सर तुम्हारा नाम लेकर,
लोग हमें सताते थे,
और हम भी तो,
तुम्हारे नाम को  सुनकर,
बेवज़ह मुस्कुरातें थे ,
याद है तुम्हे वो जब मैं रूठा था,
बिना कुछ कहे तुमसे टूटा था,
तुमने मुझे प्यार से समझाया था,
और बिन कुछ कहे इशारों में,
हमे उस बात को बताया था,
और ऐसे ही कुछ पलों को,
आज भी जब मैं याद करता,
मैं कभी रोता तो कभी हँस पड़ता,
पर आज भी मेरे दिल में,
बस तू ही बसती है,
चाहे जो आये मेरी जिंदगी,
तेरे सिवाय मेरी आँखों को,
कोई न जंचती है.....

मंगलवार, 28 मई 2019

माना घना अँधेरा ....

माना घना अँधेरा बना हुआ है,
पर उम्मीद अभी है मन में,
निशा कभी तो छटेगी वन में,
यह उम्मीद अभी है मन में,
आएंगी किरणें दिनकर की
ऐसी आश जगी है मन में,
कभी तो मैं भी जीत सकूँगा,
ऐसी जीत हुई है मन में,
एक हार से मैं क्यों हारूँ,
आस जीत की जगी है मन में,
माना घना अँधेरा अभी हुआ है,
पर उम्मीद अभी है मन में,
सबने है ठुकराया मुझको,
पर इक आशा अभी है मन में,
कोई तो होगा ही मेरा,
ऐसी आस जगी है मन में,
जब मैं सपनों को पाऊंगा,
हारी बाजी जीत आऊंगा,
शायद दुनिया तब अपनाएँ,
ऐसी आशा जगी  है मन में,
इक दिन सबकी आँखों का ,
तारा बन कर चमक जाऊंगा,
ऐसी आस जगी है मन में...

सोमवार, 27 मई 2019

बहुमत वाली सरकार

मेरी क़िस्मत का अब मुझे साथ चाहिए,
जी लिया अकेले बहुत अब मुझे मेरी ,
बहुमत वाली एक सरकार चाहिए,
जो मेरी हर बात का बिल  पास कर दे,
सिर्फ मेरे होने का एहसास मुझमें भर दे,
जो मेरे जीवन के बिल में संशोधन करके,
मेरी जिंदगी को संविधान में भर दे,
जो मेरे पक्ष में दुनिया से बात करे,
अकेले लड़कर थक चुका हूँ,
जो विपक्ष से मेरी बात कर ले,
मैं  कभी उसकी बातों का ,
जीवन संसद में  बायकॉट न करूँगा,
कभी विपक्ष में उसके न रहूँगा,
उसकी हर बात मैं भी पास करूँगा,
उसके विपक्ष में मैं न बात करूँगा,
मिल जाए बहुमत की सरकार,
दुनिया से मैं यही बात करूँगा....

वात्सल्य श्याम

शनिवार, 25 मई 2019

मेरी हर बात को...

उसने मेरी हर बात को, मज़ाक समझा था,
जो उसकी हम दिन रात बातें करते थे,
उसने उन बातों को भी बेबाक समझा था,
ग़लत वो आज हमें ही कह रही हैं,
जो दिल था लगाया वज़ह बता रही थीं,
गलती थी मेरी जो दिल में रखा था,
प्यार में धोखा मैंने पहले भी चखा था,
हर रात उनकी फोटो निहारकर सोते थे,
उनसे बातें न होने पर हम खूब रोते थे,
मैंने रो रोकर जो सवाल पूछा ,
उसने इस पर मुझे ही गलत कहा था,
मेरे हालातों पर वो मुस्कुरा रही थी,
मेरी रोती आँखों को  झूठा बता रही थी,
जिन बातों को उनके मैंने दिल से लगाया,
वही बातें आज वो गलत बता रही थी,
मेरे जज़्बात से खेलकर वो गुनगुना रही थी,
मेरी बिगड़ी हालात पर वो मुझे ही सुना रही थीं,
मेरी नीदें मेरा चैन चुराकर वो ख़ुद,
अपने घर में आराम फरमा रही थी,
माना मैंने हद से ज्यादा था सोचा पर
ये बता तुमने हमको कब रोका,
मना कर दिया होता जब पहली बार हुआ था,
याद है न वो जो तकरार हुआ था,
तुम्हारे कॉल न आने पर मैं घबराया था,
जब डरने की वजह मैंने तुम्हें खोना बताया था,
जब तुम्हारी फोटो पहली बार मंगाई थी,
उसको देखकर मुझे नींद नहीं आई थी,
जब कहा था तुम्हारा इंतज़ार मैं करूँगा,
सातों जनम मैं बस तेरा ही रहूँगा,
जब  अपने नाम के साथ तेरा नाम लगाया था,
बहुत पूछने पर भी मैंने किसी को न बताया था,
जब मैंने अपनी बेस्ट फ्रेंड से तुम्हे मिलवाया था,
तुम्हें अपनी होने वाली लाइफ बताया था,
जब  दोस्तों को छोड़कर तुझसे  बातें था करता,
याद है न जब सबको कॉन्फ्रेंस कॉल करता,
तुम उस समय न कहकर मुस्कुराती थी,
आगे हो सकता है कहकर झूठी आशा दिलाती थी,
और कुछ याद दिलाऊँ य इसी से हो जायेगा,
मैं झूठा न था कह के तू मुस्कुराएगा.....

Vatsalyshyam


कभी न कभी

कभी न कभी तो कोई ख़ास होगा,
दूर ही सही पर दिल के पास होगा,
जो मुझसे वो हरपल बातें करेगा,
मेरी बात को वो ग़लत न कहेगा,
जिसके ख्याबों में मैं ही रहूँगा,
उसके बिना मैं भी जी न सकूँगा,
जो यूँ ही नही मेरे दिल को दुखाये,
कभी न मुझे बेवज़ह वो सताए,
मेरी गीतों में वो खुद को तलाशे,
देखूँ किसी को मुझे वो ही डाटें,
मेरे साथ जीने की कसमें वो खाए,
सातों जनम वो मेरी ही कहाए,
मैं भी किसी और का न बनूँगा,
मेरी डायरी में उसे ही रखूँगा,
मैं घंटो यूँ ही उससे बातें करूँगा,
उसके बिना मैं भी जी न सकूँगा,
मुझे वो भी समझे मुझे वो भी जाने,
मेरे गजलों को वो अपना ही माने,
अपनी धड़कनों में मुझे ही वो जाने,
यही एक मैं अब दुआ ये करूँगा,
मिले कोई जो तो मैं उसका रहूँगा....

गुरुवार, 23 मई 2019

किया जो है तुमने....

किया जो है तूने,मैं किससे कहूँगा
अब न किसी से, मैं वादा करूँगा,
तुमने हँसाया, हाँ तुमने रुलाया,
तेरे प्यार ने दिन में तारा दिखाया,
करता हूँ वादा वही करूँगा,
मेरी डायरी अब न आगे कहूँगा,
किया जो है तूने उसे माफ़ करता,
तेरे ज़ख्म को मैं अब आँसू से भरता,
मेरी न हुई तो मुझे न गिला है,
जिसको था चाहा वही तो मिला है,
सलामत रहे तू यही अब दुआ है,
मैं रो रो के ऐसे न गजलें मैं लिखता,
मेरा प्यार तुमको जो थोड़ा भी दिखता,
दुनिया मुझे अब भी तेरा बुलाए,
मेरी डायरी अब मुझे ही सताए,
करता हूँ वादा वही अब करूँगा,
मैं भी किसी से यूँ ही लड़ूँगा,
उसको मैं सपने हाँ अपने दिखाकर,
जीवन में उसके न उसका बनूँगा,
तुमने किया जो वही मैं करूँगा,
किसी से हाँ मैं टाइम पास करूँगा,
रातों की उसकी मैं नींदे चुराकर,
दिन में मैं उससे खूब ही लड़ूँगा,
न खायेगी वो तो मै कुछ न कहूँगा,
इक दिन यूँ मैं किसी का बनूँगा,
जो रोयेगी वों तो हसूंगा मैं सुन के,
मेरे ज़ख्मों पर तब मैं मलहम भरूँगा,
करता हूँ वादा है ऐसे करूँगा,
दुनिया में सबसे मैं बेवफ़ाई करूँगा,
जब तुम सुनोगी मेरी कहानी,
मेरे सपनों की अब न कोई है रानी,
जो भी मिलेगी मैं उसका बनूँगा,
किसी पे मैं फिर भी जां ये न दूँगा..

रे!पथिक

रे पथिक तू क्यों खड़ा है,
पीछे उनके क्यों पड़ा है,
जो न समझे मान तुमको,
न समझे वो जान तुमको,
क्यों नहीं अब आगे बढ़ता,
मुश्किलो से तू है निकलता,
पहले भी तो साथ छुटा,
था किसी से हाथ छूटा,
फिर नही क्यों बढ़ता है,
क्यों न आगे चलता है,
माना अबकी बात ज्यादा,
सपनों की सौगात ज्यादा,
फिर भी तुमने ये जाना,
दुनिया को फिर से न पहचाना,
किया जो वादा वो भुलाया,
मतलबी से न पार पाया,
सबने तुमको था बताया,
जीवन तेरी है इक माया,
फिर नही क्यों तू समझता,
उससे तू है प्यार करता,
अब न करना बात जग से,
जिंदगी के राज सबसे,
मान जाओ अब ये कहूँगा,
जग से कब तक यूँ लड़ूंगा,
अकेले कब तक यूँ चलूँगा,
आगे अब न मैं कहूँगा,
तेरे लिए मैं मौन रहूँगा....

जीवन में न कुछ पाया है..

घन घोर निशा का रंग चढ़ा,
सबने देखो ठुकराया है,
जिसने सबको अपनाया था,
उसको औकात दिखाया है,
वो चुपचाप हुआ है मौन,
जीवन में उसका अब है कौन?
यह सोच वो अब है धूप खड़ा ,
जीवन में अब न छाया है,
यहाँ अपना न कोई पराया है,
जीवन में न कुछ पाया है-2
उसको जिसका था संग मिला,
वो कलयुग की सब माया है,
माना उसको न पता था ये,
की सबने मक़सद सधवाया है,
जीवन में न कुछ पाया है-2,
जिसको इसने था प्यार कहा,
उसने इसको ठुकराया है
जीवन में न कुछ पाया है-2
पर उसने भी ये ठाना है,
सबको अब राह दिखाना है,
जिसने इसको औक़ात दिखाई,
उसको औक़ात दिखाना है,
उस मतलबी दुनिया से अपना,
बदला लेकर ही आना है,
जीवन में न कुछ पाया है-2

बुधवार, 22 मई 2019

जब तक हमसे...

जब तक हमसे बात नही होती,
ख्याबों में ही सही ,
पर मुलाकात नही होती,
तब तक उन्हें भी,
सबकुछ बेगाना लगता है,
मेरे बिना उनको ,
बेवज़ह मुस्कुराना पड़ता है,
डर उन्हें भी लगता है,
हमारी बेवफाई का,
क्योंकि सारा जहान उनको,
गुजरा जमाना जो लगता है,
जो बीते ज़माने ने उन्हें,
बेवज़ह तड़पाया था,
जो बेवज़ह उस बेवफ़ा ने,
रोना सीखाया था,
उसी बात से वो,
आज भी डरती है,
मेरे प्यार को भी वो,
मजाक समझती है,
वरना मेरे दिल के दर्द,
वो भी समझती है,
मेरे रूठने पर मेरी डायरी,
बेवज़ह अपनों से लड़ती है,
पर मुझ पर एतबार कर लो,
एक बार मुझसे बात कर लो,
मैं कसमें तो नही,
पर विश्वास दिलाता हूँ,
तेरे सिवाय मैं किसी को,
नज़र भी नही आता हूँ,
तुम्हारे साथ मैं वो ,
काम न करूँगा,
बेवज़ह तुमको मैं,
बदनाम न करूँगा....

The Untold Story
One Sided Lover

वात्सल्य श्याम

अबकी बार वर्ल्ड कप

वर्ल्ड कप
आज भी याद है हमें,
उस बार सबको विश्वास था,
इस बार का वर्ल्ड कप,
बहुत कुछ ख़ास था,
सचिन के सपनों का अरमान था,
धोनी को भी बनना महान था,
सबकी मेहनत रंग लाई थी,
वर्ल्ड कप जितने की बारी ,
अब हमारी आई थी,
युवराज ने रंग दिखाया था,
भारत को वर्ल्ड कप जिताया था,
इस बार भी ऐसी ही,
कुछ आस जगी है,
अबकी अपने युवाओं पर,
विश्वास जगी है,
बुमराह की यार्कर,
कौन खेल पायेगा,
कोहली के शतकों को,
कौन रोक पायेगा,
हिट मैन जो चल गया,
तो शामत आ जायेगी,
अच्छे गेंदबाजों को भी,
लानत लग जाएगी,
सिंह की दहाड़ को,
कौन झेल पायेगा,
भारत को जीतने से,
कौन रोक पायेगा,
धोनी का अबकी जलवा दिखेगा,
अंतिम जो वर्ल्ड कप है तो,
जीत कर ही रहेगा,
पांड्या, राहुल को भी,
अबकी दिखाना है,
भारत की झोली में,
वर्ल्ड कप जो लाना है,
भुवी जो गेंदों को,
स्विंग पर स्विंग करायेगा,
बड़े बड़े बल्लेबाजो की,
गिल्ली को उड़ाएगा,
शमी और अहमद भी,
अबकी बतायेगा,
भारत की मजबूती का,
वजह भी बताएगा,
शंकर भी अपना,
तांडव को दिखायेगा,
ऐसे ही नही ये विजय कहलायेगा

मंगलवार, 21 मई 2019

अबकी हमने

अबकी हमने उससे ,
न बात करने की कसम खाई है,
ख्याबो में आती है,
तो आने दो,
पर हक़ीक़त में मुलाकात,
न करने की कसम खाई है,
वो हमको ग़ैर भी नही समझती,
मेरे जज्बातों से अक्सर खेलती,
जब दिल कही न लगता,
तो हमें बुलाती,
हमें रंगीन सपने दिखाकर,
खुद किसी और का हो जाती,
उन्होंने हमारे प्यार को,
मज़ाक बना कर रख दिया,
मेरे इस हँसते दिल को,
रुला रुलाकर रख दिया,
पर अबकी न हम बात करेंगे,
सपनो का सच न बोलेंगे,
हाँ ऐसी ही कसम,
हमने आज से खाई है,
सपनो में आए तो आये,
पर मेरे दिल में,
अब न समाई है...

सोमवार, 20 मई 2019

क्या तुम्हें पता नहीं???

हर मुलाकात पर,
एक ही बात पूछती हो,
मेरे संग तुम,
सपनों की रात देखती हो,
मेरे न होने पर,
तुम जो घबराती हो,
और मेरे होने पर,
अनजान जो बन जाती हो,
फिर भी हर बार,
एक ही सवाल पूछती हो,
क्या तुम्हे पता नहीं,
तुम मेरी क्या कहलाती हो,
मुझे अपने रंग में,
सुन्दर सा सजाती हो,
मेरी हर बात को बेवज़ह,
तुम जो मानती हो,
मेरे ख्याबों पर अब,
अपना हक जताती हो,
मेरी हर कमी को,
मुझसे दूर भगाती हो,
न मिलने पर तुम,
जरा सा घबराती हो,
मिलने पर खिलखिलाकर,
यूँ ही जो मुस्कराती हो,
फिर भी हर बार,
यही बात दोहराती हो,
क्या तुम्हे पता नहीं,
तुम मेरी क्या कहलाती हो?
अपनी सारी बातें,
मुझसे ही बताती हो,
मेरे नाराज़ होने पर,
आँसू जो बहाती हो,
मेरे करीब आकर भी,
दूर जो चली जाती हो,
शायद ऐसे ही मुझसे,
अपना प्यार जताती हो,
मुझे कुछ कहने पर,
दुनिया से भीड़ जाती हो,
मेरे गुस्सा होने पर,
हक़ से समझाती हो,
फिर भी हर बार,
यही बात दोहराती हो,
क्या तुम्हें पता नही,
तुम मेरी क्या कहलाती हो?
मेरे हर दर्द में,
मलहम सा बन जाती हो,
मेरी सादगी को,
बिन कुछ कहे अपनाती हो,
मेरे साथ किसी और,
का जिक्र होने पर,
तुम जो थोड़ा घबराती हो,
फिर मुझे आँख दिखाकर,
अपने पास बुलाती हो,
और जब पास होता हूँ तो,
दूर चली जाती हो,
फिर भी हर बार,
एक ही बात दोहराती हो,
क्या तुम्हें पता नहीं,
तुम मेरी क्या कहलाती हो????

शनिवार, 18 मई 2019

सब कुछ तो है .…....

सब कुछ तो है फिर भी,
कुछ खाली सा लगता है,
तेरे न होने के अहसास से,
दुनिया सवाली सा लगता है,
सुबह चाय की शुरुआत से,
रात को तकिए से बात तक,
तेरी यादें मेरे साथ होती,
और उन यादों में अक्सर,
मेरी आँखे नम होती,
याद तो होगा ही तुम्हे,
वो जब हमे सताती थी,
सुबह सुबह ही छत पर आकर,
हमे नींदों से उठाती थी,
सुबह-दोपहर-शाम तक ,
बस एक ही बात दोहराती थी,
कब कहोगे दिल की बात,
यही कहकर शर्माती थी,
मैं भी थोड़ा घबराता था,
कहने में हिचकिचाता था,
तुझसे जुदा होने के ख़्याल से,
दिल की बात न कह पाता था,
पर शायद तुमने मेरे हालात न देखे,
तेरे जाने के बाद मेरे आँख न देखे,
उन नयनों में वो बात न देखे,
अब जरुरी तो नही था कि,
दिल की बात लफ्ज़ो से बताऊँ,
तेरे बग़ैर मैं किसी और को न चाहूँ,
कहां से लाऊँ वो लफ़्ज,
जो ये बयान दे दे की,
तेरे बगैर इस दिल की बगिया में,
किसी का फूल न खिला,
लाख कोशिश के बावजूद,
मुझे तुम जैसा न मिला....

वात्सल्य श्याम

रविवार, 28 अप्रैल 2019

इक लड़की थी-2

इक लड़की थी, जो शर्माती थी,
मेरे ख्याब में अक्सर आती थी,
कभी हसती थी, कभी गाती थी,
वो हर रंग में भाती थी,
वो बोली थी जरा सुनते हो,
सपने संग न बुनते हो,
हमने सोचा ये बात सही,
इनका ये जज़्बात सही,
शायद सपने अब पूरे हो,
मेरे मन में जो अधूरे हो,
पर सपना मेरा अधूरा था,
बिन उसके संग न पूरा था,
हमने पूछा क्यों साथ चले,
वो न करके इठलाई थी,
पर उसकी न में भी,
आंखें कुछ तो कह जाती थी,
उन आँखों में वो बात छिपा था,
जो वो मुझसे छिपवाती थी,
वो लड़की जो शर्माती थी,
किसी और कि वो साथी थी,
हमको न खबर जो आती थी,
वो संग किसी के मुस्काती थी,
जो आती थी, वो आती है,
अब भी मुझको वो भाती है,
हर रोज़ बदलती किरणों संग,
वो साथ बदलकर जाती है....

गुरुवार, 25 अप्रैल 2019

अनकहा जज़्बात

पहली बार ये एहसास हुआ है,
कोई हमारे दिल के पास हुआ है,
वो रोज़ हमारे ख्याबों में आती है,
उनकी यादें रात भर हमें सताती है,
अपने अनकहे, अनजाने जज्बात से,
वो मेरे दिल को यूँ ही चुराती हैं,
फिर अपने अलग अंदाज से,
मुस्कुराते हुए चली जाती है,
उनका यूँ मुस्कुराता चेहरा,
मुझको पागल कर देता है,
दर्द दुनिया जो देती है उनके नाम पर,
उस पर दवा का असर कर देता है.......

Vatsaly shyam

मंगलवार, 23 अप्रैल 2019

इजहार-ए-इश्क़

शायद मैं तुम्हे समय न दें पाऊँ,
या कहने हुए मैं रुक जाऊं,
पर तुम पर मैं एतबार करूँगा,
हर दफ़ा सिर्फ तुमसे प्यार करूँगा,
जब रूठोगी तो मनाऊंगा, चांद, तारे न सही,
पर सारा जहांन तेरे कदमों में लाऊँगा,
तुम्हारी हर गलती पर मुस्कराउंगा,
न समझने पर प्यार से समझाऊंगा,
पर तुम पर एतबार करूँगा,
हर दफ़ा मैं तुमसे प्यार करूँगा,
पूरी दुनिया की सैर तुम्हे कराऊंगा,
तुम्हारे लिए जहांन से लड़ जाऊंगा,
जो आसमान हमसे कभी मांगोगी,
मैं तुम्हे अम्बर की रानी बनाऊंगा,
जो एक बार हां कर दोगी तो,
सातों जनम तुम्हारे साथ बिताऊँगा........

मेरी बात