शनिवार, 25 मई 2019

मेरी हर बात को...

उसने मेरी हर बात को, मज़ाक समझा था,
जो उसकी हम दिन रात बातें करते थे,
उसने उन बातों को भी बेबाक समझा था,
ग़लत वो आज हमें ही कह रही हैं,
जो दिल था लगाया वज़ह बता रही थीं,
गलती थी मेरी जो दिल में रखा था,
प्यार में धोखा मैंने पहले भी चखा था,
हर रात उनकी फोटो निहारकर सोते थे,
उनसे बातें न होने पर हम खूब रोते थे,
मैंने रो रोकर जो सवाल पूछा ,
उसने इस पर मुझे ही गलत कहा था,
मेरे हालातों पर वो मुस्कुरा रही थी,
मेरी रोती आँखों को  झूठा बता रही थी,
जिन बातों को उनके मैंने दिल से लगाया,
वही बातें आज वो गलत बता रही थी,
मेरे जज़्बात से खेलकर वो गुनगुना रही थी,
मेरी बिगड़ी हालात पर वो मुझे ही सुना रही थीं,
मेरी नीदें मेरा चैन चुराकर वो ख़ुद,
अपने घर में आराम फरमा रही थी,
माना मैंने हद से ज्यादा था सोचा पर
ये बता तुमने हमको कब रोका,
मना कर दिया होता जब पहली बार हुआ था,
याद है न वो जो तकरार हुआ था,
तुम्हारे कॉल न आने पर मैं घबराया था,
जब डरने की वजह मैंने तुम्हें खोना बताया था,
जब तुम्हारी फोटो पहली बार मंगाई थी,
उसको देखकर मुझे नींद नहीं आई थी,
जब कहा था तुम्हारा इंतज़ार मैं करूँगा,
सातों जनम मैं बस तेरा ही रहूँगा,
जब  अपने नाम के साथ तेरा नाम लगाया था,
बहुत पूछने पर भी मैंने किसी को न बताया था,
जब मैंने अपनी बेस्ट फ्रेंड से तुम्हे मिलवाया था,
तुम्हें अपनी होने वाली लाइफ बताया था,
जब  दोस्तों को छोड़कर तुझसे  बातें था करता,
याद है न जब सबको कॉन्फ्रेंस कॉल करता,
तुम उस समय न कहकर मुस्कुराती थी,
आगे हो सकता है कहकर झूठी आशा दिलाती थी,
और कुछ याद दिलाऊँ य इसी से हो जायेगा,
मैं झूठा न था कह के तू मुस्कुराएगा.....

Vatsalyshyam


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