गुरुवार, 23 मई 2019

रे!पथिक

रे पथिक तू क्यों खड़ा है,
पीछे उनके क्यों पड़ा है,
जो न समझे मान तुमको,
न समझे वो जान तुमको,
क्यों नहीं अब आगे बढ़ता,
मुश्किलो से तू है निकलता,
पहले भी तो साथ छुटा,
था किसी से हाथ छूटा,
फिर नही क्यों बढ़ता है,
क्यों न आगे चलता है,
माना अबकी बात ज्यादा,
सपनों की सौगात ज्यादा,
फिर भी तुमने ये जाना,
दुनिया को फिर से न पहचाना,
किया जो वादा वो भुलाया,
मतलबी से न पार पाया,
सबने तुमको था बताया,
जीवन तेरी है इक माया,
फिर नही क्यों तू समझता,
उससे तू है प्यार करता,
अब न करना बात जग से,
जिंदगी के राज सबसे,
मान जाओ अब ये कहूँगा,
जग से कब तक यूँ लड़ूंगा,
अकेले कब तक यूँ चलूँगा,
आगे अब न मैं कहूँगा,
तेरे लिए मैं मौन रहूँगा....

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