शनिवार, 25 मई 2019

कभी न कभी

कभी न कभी तो कोई ख़ास होगा,
दूर ही सही पर दिल के पास होगा,
जो मुझसे वो हरपल बातें करेगा,
मेरी बात को वो ग़लत न कहेगा,
जिसके ख्याबों में मैं ही रहूँगा,
उसके बिना मैं भी जी न सकूँगा,
जो यूँ ही नही मेरे दिल को दुखाये,
कभी न मुझे बेवज़ह वो सताए,
मेरी गीतों में वो खुद को तलाशे,
देखूँ किसी को मुझे वो ही डाटें,
मेरे साथ जीने की कसमें वो खाए,
सातों जनम वो मेरी ही कहाए,
मैं भी किसी और का न बनूँगा,
मेरी डायरी में उसे ही रखूँगा,
मैं घंटो यूँ ही उससे बातें करूँगा,
उसके बिना मैं भी जी न सकूँगा,
मुझे वो भी समझे मुझे वो भी जाने,
मेरे गजलों को वो अपना ही माने,
अपनी धड़कनों में मुझे ही वो जाने,
यही एक मैं अब दुआ ये करूँगा,
मिले कोई जो तो मैं उसका रहूँगा....

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