बुधवार, 29 मई 2019

मृत्यु ......

देख लिया  मैंने भी दुनिया,
अब मरना बेकार नही ,
मृत्यु सत्य है, मृत्यु अटल है,
दुनिया से किंचित रार नही,
बहुतों को मैंने आते देखा,
बहुतों को मैंने जाते देखा,
पहले डरता जब ज्ञान नही,
अब जान गया संसार यही,
तो मृत्यु से न डरता हूँ,
भय मुक्त सा होकर चलता हूँ,
कर्म यही कुछ काम करूँ,
जग में मैं अपना नाम करूँ,
जब कभी बात अमर की हो,
मैं मृत होकर भी अमर रहूँ,
अब यही है आशा मन मेरे,
जग भूले न यह जतन मेरे,
अब मृत्यु से न डरता हूँ,
मैं निडर सा होकर चलता हूँ

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