गुरुवार, 23 मई 2019

जीवन में न कुछ पाया है..

घन घोर निशा का रंग चढ़ा,
सबने देखो ठुकराया है,
जिसने सबको अपनाया था,
उसको औकात दिखाया है,
वो चुपचाप हुआ है मौन,
जीवन में उसका अब है कौन?
यह सोच वो अब है धूप खड़ा ,
जीवन में अब न छाया है,
यहाँ अपना न कोई पराया है,
जीवन में न कुछ पाया है-2
उसको जिसका था संग मिला,
वो कलयुग की सब माया है,
माना उसको न पता था ये,
की सबने मक़सद सधवाया है,
जीवन में न कुछ पाया है-2,
जिसको इसने था प्यार कहा,
उसने इसको ठुकराया है
जीवन में न कुछ पाया है-2
पर उसने भी ये ठाना है,
सबको अब राह दिखाना है,
जिसने इसको औक़ात दिखाई,
उसको औक़ात दिखाना है,
उस मतलबी दुनिया से अपना,
बदला लेकर ही आना है,
जीवन में न कुछ पाया है-2

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