शनिवार, 18 मई 2019

सब कुछ तो है .…....

सब कुछ तो है फिर भी,
कुछ खाली सा लगता है,
तेरे न होने के अहसास से,
दुनिया सवाली सा लगता है,
सुबह चाय की शुरुआत से,
रात को तकिए से बात तक,
तेरी यादें मेरे साथ होती,
और उन यादों में अक्सर,
मेरी आँखे नम होती,
याद तो होगा ही तुम्हे,
वो जब हमे सताती थी,
सुबह सुबह ही छत पर आकर,
हमे नींदों से उठाती थी,
सुबह-दोपहर-शाम तक ,
बस एक ही बात दोहराती थी,
कब कहोगे दिल की बात,
यही कहकर शर्माती थी,
मैं भी थोड़ा घबराता था,
कहने में हिचकिचाता था,
तुझसे जुदा होने के ख़्याल से,
दिल की बात न कह पाता था,
पर शायद तुमने मेरे हालात न देखे,
तेरे जाने के बाद मेरे आँख न देखे,
उन नयनों में वो बात न देखे,
अब जरुरी तो नही था कि,
दिल की बात लफ्ज़ो से बताऊँ,
तेरे बग़ैर मैं किसी और को न चाहूँ,
कहां से लाऊँ वो लफ़्ज,
जो ये बयान दे दे की,
तेरे बगैर इस दिल की बगिया में,
किसी का फूल न खिला,
लाख कोशिश के बावजूद,
मुझे तुम जैसा न मिला....

वात्सल्य श्याम

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