मंगलवार, 21 मई 2019

अबकी हमने

अबकी हमने उससे ,
न बात करने की कसम खाई है,
ख्याबो में आती है,
तो आने दो,
पर हक़ीक़त में मुलाकात,
न करने की कसम खाई है,
वो हमको ग़ैर भी नही समझती,
मेरे जज्बातों से अक्सर खेलती,
जब दिल कही न लगता,
तो हमें बुलाती,
हमें रंगीन सपने दिखाकर,
खुद किसी और का हो जाती,
उन्होंने हमारे प्यार को,
मज़ाक बना कर रख दिया,
मेरे इस हँसते दिल को,
रुला रुलाकर रख दिया,
पर अबकी न हम बात करेंगे,
सपनो का सच न बोलेंगे,
हाँ ऐसी ही कसम,
हमने आज से खाई है,
सपनो में आए तो आये,
पर मेरे दिल में,
अब न समाई है...

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