बुधवार, 2 अक्टूबर 2019

मैं ऐसे अकेले...

मैं ऐसे अकेले न गुपचुप सा सोता,
जो तुमने हमें यूँ भुलाया न होता,
मुझे न पता था फ़रेबी है दुनिया,
झूठी ही मुझसे मिलती थी अखियाँ,
तुम्ही ने था मुझसे वादा किया जो,
मुझे तुम गीतों गज़लों में साजों,
हमारी तड़प को था तुमने बढ़ाया,
वात्सल्य बेचारा समझ भी न पाया,
पता न था ऐसे तुम भी करोगी ,
झूठे थे वादे  व कसमें कहोगी,
कभी न भूलूँ जो तुमने किया है,
फ़रेबी है दुनिया बता जो दिया है,
उस दिन था रोया था आँखे पिरोया,
तेरे ख्याब आके कोई जब था सोया,
यही था जो करना तो क्यूँ दिल लगाया,
मेरे साथ सपनों को क्यों था बसाया,
निभाना नही था तो वादा किया क्यों,
इरादा नही था तो साथी कहा क्यों,
हमारे यकीं को था तुमने जो तोड़ा,
अभी तक किसी ने उसे न है जोड़ा,
मेरा दिल है रोता बहुत दर्द होता,
तेरी याद आती तो रातें न सोता,
तुम्हारी अभी भी शामें वही है,
मैं तो नही कोई और भी हसीं है,
मेरा क्या है मैं तो ऐसे ही रोता,
तेरी ही यादों में अब भी हूँ खोता.....

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