मन समझ न पाया अब तक ये,
कैसा है जग का रंग भला,
परिणाम रहे अनुकूल तुम्हारे,
तुमसे प्यारा कोई और नही,
प्रतिकूल चुनौती मिली तुम्हे,
काँटा हो तुम कोई फूल नही,
सफल यदि तुम होते हो,
तुमसे संबंध बनाता है,
विपदा हो जो आन पड़ी,
तुम कौन हो ये दोहराता है,
पल भर मे तेरे साथ खड़ा,
पल भर में है ये दूर पड़ा,
मन समझ न पाया अब तक ये,
कैसा है जग का रंग भला,
है कौन तुम्हारा कौन पराया,
पल भर में पता चल जाता है,
विपदा जब पाँव जमाती है,
सम्बन्धी भूल ही जाता है,
यदि पैसे से हो जेब भरी,
दुख दर्द तुम्हारे सह लेगा,
जो निर्धन बनकर जाओगे,
दुत्कार तुम्हे ये हँस देगा,
मन समझ न पाया अब तक ये,
कैसा है जग का रंग भला,
इक बात कहूँ तुम सबसे मैं,
कर्तव्य हमेशा करते ही रहो,
सफल असफल इक पहिया है,
अमावस में अकेले जगते रहो,
दिनकर कभी तो निकलेगा,
ये रात्रि पहर भी बिछड़ेगा,
जब नया सवेरा आएगा,
जग गीत तुम्हारे गाएगा,
तुम सच्चाई की राह चलो,
झक मार के मंजिल आएगा,
मन समझ न पाया अब तक ये,
कैसा है जग का रंग भला।।।।।।
कैसा है जग का रंग भला,
परिणाम रहे अनुकूल तुम्हारे,
तुमसे प्यारा कोई और नही,
प्रतिकूल चुनौती मिली तुम्हे,
काँटा हो तुम कोई फूल नही,
सफल यदि तुम होते हो,
तुमसे संबंध बनाता है,
विपदा हो जो आन पड़ी,
तुम कौन हो ये दोहराता है,
पल भर मे तेरे साथ खड़ा,
पल भर में है ये दूर पड़ा,
मन समझ न पाया अब तक ये,
कैसा है जग का रंग भला,
है कौन तुम्हारा कौन पराया,
पल भर में पता चल जाता है,
विपदा जब पाँव जमाती है,
सम्बन्धी भूल ही जाता है,
यदि पैसे से हो जेब भरी,
दुख दर्द तुम्हारे सह लेगा,
जो निर्धन बनकर जाओगे,
दुत्कार तुम्हे ये हँस देगा,
मन समझ न पाया अब तक ये,
कैसा है जग का रंग भला,
इक बात कहूँ तुम सबसे मैं,
कर्तव्य हमेशा करते ही रहो,
सफल असफल इक पहिया है,
अमावस में अकेले जगते रहो,
दिनकर कभी तो निकलेगा,
ये रात्रि पहर भी बिछड़ेगा,
जब नया सवेरा आएगा,
जग गीत तुम्हारे गाएगा,
तुम सच्चाई की राह चलो,
झक मार के मंजिल आएगा,
मन समझ न पाया अब तक ये,
कैसा है जग का रंग भला।।।।।।
Kya baat h
जवाब देंहटाएंThank you so much
हटाएंNice bhai 👌👌
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