कुछ वक़्त दे मुझे ए मेरी बिगड़ती जिंदगी,
मैं तो खुद लड़खड़ाते हुए सम्भल जाऊँगा।।
थोड़ा सब्र कर लो ए दुनिया के रहनुमाओं,
जो ख्याब अधूरे उनको पूरा कर जाऊँगा।।
माना कि हार हर बार हुई मंजिल पाने की
पर वक़्त तो दो सिकन्दर मैं भी बन जाऊँगा।।
मन मेरा मझदार में फंसा है तो क्या हुआ,
किनारों पर ज्वार के साथ बह चला जाऊँगा।।।
यक़ी नही मेरे किरदार पर पता है यारों,
यकी कर दिखाओ तभी दुनिया बदल पाऊँगा।।।
राम रहमान की इस धरती पर जन्म लिया है,
ऐसे कैसे अलविदा कहकर निकल जाऊँगा।।।
जरा गौर से देख लूँ इनके शानों करम को,
फिर बात मैं भी भरी महफ़िल में रख पाऊँगा।।
माना कि मैं ज़ाहिल गवाँर इस बड़े जहान का,
जरा वक़्त दे दो तुलसी बनकर छा जाऊँगा ।।
तुमको साथ न दे पाया मेरी प्यारी नन्हों,
समय आने दो मैं तुम्हारा हि हो जाऊँगा ।।
ले न पाया ख़ुदा का नाम तू भी तो खुदगर्ज़,
वक़्त के साथ माटी का माटी में जाएगा।।
जिम्मेदारियों का बोझ आ गया तुम पर यार
सब्र कर लो निशा दिनकर संग चला जाएगा।।
जो नफ़रत करते हो उसके रक़ीब से यारों,
हालात इधर जान लो इश्क़ फिर हो जाएगा।।
दोस्त सखा साथी सबकुछ कहते हो मैं माना,
मुश्किल आने पर यार का पता चल जाएगा
कोहरा होने दो आसमाँ के उस कोने में,
जमीन से ही मैं आफताब सा जल जाऊँगा।।।
कह रहा हूँ कह लेने दो सबकी हक़ीक़त को,
क्या पता कल गीत ग़ज़ल से कुछ न कह पाऊँगा।।
श्याम को उसके साथ होने का फ़र्क न पड़ता,
उसके बिना भी ग़ज़ल को मैं अब कह पाऊँगा।।।
मैं तो खुद लड़खड़ाते हुए सम्भल जाऊँगा।।
थोड़ा सब्र कर लो ए दुनिया के रहनुमाओं,
जो ख्याब अधूरे उनको पूरा कर जाऊँगा।।
माना कि हार हर बार हुई मंजिल पाने की
पर वक़्त तो दो सिकन्दर मैं भी बन जाऊँगा।।
मन मेरा मझदार में फंसा है तो क्या हुआ,
किनारों पर ज्वार के साथ बह चला जाऊँगा।।।
यक़ी नही मेरे किरदार पर पता है यारों,
यकी कर दिखाओ तभी दुनिया बदल पाऊँगा।।।
राम रहमान की इस धरती पर जन्म लिया है,
ऐसे कैसे अलविदा कहकर निकल जाऊँगा।।।
जरा गौर से देख लूँ इनके शानों करम को,
फिर बात मैं भी भरी महफ़िल में रख पाऊँगा।।
माना कि मैं ज़ाहिल गवाँर इस बड़े जहान का,
जरा वक़्त दे दो तुलसी बनकर छा जाऊँगा ।।
तुमको साथ न दे पाया मेरी प्यारी नन्हों,
समय आने दो मैं तुम्हारा हि हो जाऊँगा ।।
ले न पाया ख़ुदा का नाम तू भी तो खुदगर्ज़,
वक़्त के साथ माटी का माटी में जाएगा।।
जिम्मेदारियों का बोझ आ गया तुम पर यार
सब्र कर लो निशा दिनकर संग चला जाएगा।।
जो नफ़रत करते हो उसके रक़ीब से यारों,
हालात इधर जान लो इश्क़ फिर हो जाएगा।।
दोस्त सखा साथी सबकुछ कहते हो मैं माना,
मुश्किल आने पर यार का पता चल जाएगा
कोहरा होने दो आसमाँ के उस कोने में,
जमीन से ही मैं आफताब सा जल जाऊँगा।।।
कह रहा हूँ कह लेने दो सबकी हक़ीक़त को,
क्या पता कल गीत ग़ज़ल से कुछ न कह पाऊँगा।।
श्याम को उसके साथ होने का फ़र्क न पड़ता,
उसके बिना भी ग़ज़ल को मैं अब कह पाऊँगा।।।
Nice🤗
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