कहो प्रिये क्या याद न आती,
तुमको अब तो मेरी ,
कहो तुम्ही क्या अब न होती,
उन शामों को देरी,
कहो फ़िकर क्या अब न होती,
जानू जाने जानाँ,
तुमको सूरज चाँद कहा था,
माना था इक तारा,
तेरी राह अभी भी तकता,
ये पागल बंजारा,
तुमने कहा था तुम अपनाओ,
मुझको अपना गीत बनाओ,
कहो की क्या अब गीत न गाऊँ,
भूला बिसरा न दोहराऊं,
सब कहते है भूल गई तुम,
तुम भी उसको याद न करना,
अपने ग़ज़ल की शायरियों में,
प्रीतम प्रीतम न रटना,
कहो तुम्ही अब ये तो बता दो,
क्या तुमको अब मैं बिसराउँ,
बिरहा वाले गीत ग़ज़ल को,
तेरी याद मैं भी गाऊँ,
पर तुमको तो खबर ये होगी,
बिन तुमको किसे सपने सुनाऊँ,
कहो तुम्ही मैं अपनी राधा,
किस भामा को बतलाऊँ,
कहो प्रिये याद न आती ,
बाते अब तो मेरी,
कहो तुम्हे क्या अब न सताती,
सूरत अब वो मेरी.....
तुमको अब तो मेरी ,
कहो तुम्ही क्या अब न होती,
उन शामों को देरी,
कहो फ़िकर क्या अब न होती,
जानू जाने जानाँ,
तुमको सूरज चाँद कहा था,
माना था इक तारा,
तेरी राह अभी भी तकता,
ये पागल बंजारा,
तुमने कहा था तुम अपनाओ,
मुझको अपना गीत बनाओ,
कहो की क्या अब गीत न गाऊँ,
भूला बिसरा न दोहराऊं,
सब कहते है भूल गई तुम,
तुम भी उसको याद न करना,
अपने ग़ज़ल की शायरियों में,
प्रीतम प्रीतम न रटना,
कहो तुम्ही अब ये तो बता दो,
क्या तुमको अब मैं बिसराउँ,
बिरहा वाले गीत ग़ज़ल को,
तेरी याद मैं भी गाऊँ,
पर तुमको तो खबर ये होगी,
बिन तुमको किसे सपने सुनाऊँ,
कहो तुम्ही मैं अपनी राधा,
किस भामा को बतलाऊँ,
कहो प्रिये याद न आती ,
बाते अब तो मेरी,
कहो तुम्हे क्या अब न सताती,
सूरत अब वो मेरी.....
कोई टिप्पणी नहीं:
एक टिप्पणी भेजें