मैं गीतों में तुमको गाने लगा हूँ,
वजह तो नही मुस्काने लगा हूँ,
तेरा नाम सुनकर शरम अब है आती,
मेरे ख्याब में आकर अब है सताती,
तेरी बातों को अब मैं सुनने लगा हूँ,
महफिल में तुझको मैं बुनने लगा हूँ,
कहो तो तुम्हे अब मैं चन्दा कहूँगा,
कान्हा के जैसे अब मैं लीला करूँगा,
प्रेम के राग का मैं भी तर्पण करूँगा,
विरह गीतों का मैं भी अर्पण करूँगा,
सातों जनम की कसमें मैं खाऊं,
तेरा साथ पाने को मंदिर मैं जाऊँ,
न जाने कैसे मैं तुम्हे ये बता दूँ,
तेरे नाम मे अपना सरनेम लगा दूँ,
तुम्ही अब बताओ कि कैसे कहूँ मैं,
किस्से कहानी दिल के किससे कहूँ मैं,
तुम्ही अब बताओ तुम्ही अब सुनाओ,
महफ़िल में अपनी मुझे अब बुलाओ...
वात्सल्य श्याम
वजह तो नही मुस्काने लगा हूँ,
तेरा नाम सुनकर शरम अब है आती,
मेरे ख्याब में आकर अब है सताती,
तेरी बातों को अब मैं सुनने लगा हूँ,
महफिल में तुझको मैं बुनने लगा हूँ,
कहो तो तुम्हे अब मैं चन्दा कहूँगा,
कान्हा के जैसे अब मैं लीला करूँगा,
प्रेम के राग का मैं भी तर्पण करूँगा,
विरह गीतों का मैं भी अर्पण करूँगा,
सातों जनम की कसमें मैं खाऊं,
तेरा साथ पाने को मंदिर मैं जाऊँ,
न जाने कैसे मैं तुम्हे ये बता दूँ,
तेरे नाम मे अपना सरनेम लगा दूँ,
तुम्ही अब बताओ कि कैसे कहूँ मैं,
किस्से कहानी दिल के किससे कहूँ मैं,
तुम्ही अब बताओ तुम्ही अब सुनाओ,
महफ़िल में अपनी मुझे अब बुलाओ...
वात्सल्य श्याम
कोई टिप्पणी नहीं:
एक टिप्पणी भेजें