बुधवार, 29 मई 2019

मृत्यु ......

देख लिया  मैंने भी दुनिया,
अब मरना बेकार नही ,
मृत्यु सत्य है, मृत्यु अटल है,
दुनिया से किंचित रार नही,
बहुतों को मैंने आते देखा,
बहुतों को मैंने जाते देखा,
पहले डरता जब ज्ञान नही,
अब जान गया संसार यही,
तो मृत्यु से न डरता हूँ,
भय मुक्त सा होकर चलता हूँ,
कर्म यही कुछ काम करूँ,
जग में मैं अपना नाम करूँ,
जब कभी बात अमर की हो,
मैं मृत होकर भी अमर रहूँ,
अब यही है आशा मन मेरे,
जग भूले न यह जतन मेरे,
अब मृत्यु से न डरता हूँ,
मैं निडर सा होकर चलता हूँ

यादें

आज यूँ ही मुझे तेरी याद आ गई,
वो यादें जो कुछ दिन के लिए ही,
पर मेरे जिंदगी का एक अहम हिस्सा है,
चाहे मैं दुख में रहूँ या सुख में,
उन यादों को याद किए बगैर,
मेरी रात कटती नही है,
याद है न जब हमें किसी का,
डर नही  होता था,
तुम मेरी आँखों के सामने,
और मैं तुम्हारे दिल में होता था,
क्या दिन क्या रात,
हर वक़्त बस तेरी बात,
पुरे मोहल्ले को पता था कि,
हमें करनी है आपसे बात,
वही बात जो सब जानते थे,
सब तुमको हमारा मानते थे,
अक़्सर तुम्हारा नाम लेकर,
लोग हमें सताते थे,
और हम भी तो,
तुम्हारे नाम को  सुनकर,
बेवज़ह मुस्कुरातें थे ,
याद है तुम्हे वो जब मैं रूठा था,
बिना कुछ कहे तुमसे टूटा था,
तुमने मुझे प्यार से समझाया था,
और बिन कुछ कहे इशारों में,
हमे उस बात को बताया था,
और ऐसे ही कुछ पलों को,
आज भी जब मैं याद करता,
मैं कभी रोता तो कभी हँस पड़ता,
पर आज भी मेरे दिल में,
बस तू ही बसती है,
चाहे जो आये मेरी जिंदगी,
तेरे सिवाय मेरी आँखों को,
कोई न जंचती है.....

मंगलवार, 28 मई 2019

माना घना अँधेरा ....

माना घना अँधेरा बना हुआ है,
पर उम्मीद अभी है मन में,
निशा कभी तो छटेगी वन में,
यह उम्मीद अभी है मन में,
आएंगी किरणें दिनकर की
ऐसी आश जगी है मन में,
कभी तो मैं भी जीत सकूँगा,
ऐसी जीत हुई है मन में,
एक हार से मैं क्यों हारूँ,
आस जीत की जगी है मन में,
माना घना अँधेरा अभी हुआ है,
पर उम्मीद अभी है मन में,
सबने है ठुकराया मुझको,
पर इक आशा अभी है मन में,
कोई तो होगा ही मेरा,
ऐसी आस जगी है मन में,
जब मैं सपनों को पाऊंगा,
हारी बाजी जीत आऊंगा,
शायद दुनिया तब अपनाएँ,
ऐसी आशा जगी  है मन में,
इक दिन सबकी आँखों का ,
तारा बन कर चमक जाऊंगा,
ऐसी आस जगी है मन में...

सोमवार, 27 मई 2019

बहुमत वाली सरकार

मेरी क़िस्मत का अब मुझे साथ चाहिए,
जी लिया अकेले बहुत अब मुझे मेरी ,
बहुमत वाली एक सरकार चाहिए,
जो मेरी हर बात का बिल  पास कर दे,
सिर्फ मेरे होने का एहसास मुझमें भर दे,
जो मेरे जीवन के बिल में संशोधन करके,
मेरी जिंदगी को संविधान में भर दे,
जो मेरे पक्ष में दुनिया से बात करे,
अकेले लड़कर थक चुका हूँ,
जो विपक्ष से मेरी बात कर ले,
मैं  कभी उसकी बातों का ,
जीवन संसद में  बायकॉट न करूँगा,
कभी विपक्ष में उसके न रहूँगा,
उसकी हर बात मैं भी पास करूँगा,
उसके विपक्ष में मैं न बात करूँगा,
मिल जाए बहुमत की सरकार,
दुनिया से मैं यही बात करूँगा....

वात्सल्य श्याम

शनिवार, 25 मई 2019

मेरी हर बात को...

उसने मेरी हर बात को, मज़ाक समझा था,
जो उसकी हम दिन रात बातें करते थे,
उसने उन बातों को भी बेबाक समझा था,
ग़लत वो आज हमें ही कह रही हैं,
जो दिल था लगाया वज़ह बता रही थीं,
गलती थी मेरी जो दिल में रखा था,
प्यार में धोखा मैंने पहले भी चखा था,
हर रात उनकी फोटो निहारकर सोते थे,
उनसे बातें न होने पर हम खूब रोते थे,
मैंने रो रोकर जो सवाल पूछा ,
उसने इस पर मुझे ही गलत कहा था,
मेरे हालातों पर वो मुस्कुरा रही थी,
मेरी रोती आँखों को  झूठा बता रही थी,
जिन बातों को उनके मैंने दिल से लगाया,
वही बातें आज वो गलत बता रही थी,
मेरे जज़्बात से खेलकर वो गुनगुना रही थी,
मेरी बिगड़ी हालात पर वो मुझे ही सुना रही थीं,
मेरी नीदें मेरा चैन चुराकर वो ख़ुद,
अपने घर में आराम फरमा रही थी,
माना मैंने हद से ज्यादा था सोचा पर
ये बता तुमने हमको कब रोका,
मना कर दिया होता जब पहली बार हुआ था,
याद है न वो जो तकरार हुआ था,
तुम्हारे कॉल न आने पर मैं घबराया था,
जब डरने की वजह मैंने तुम्हें खोना बताया था,
जब तुम्हारी फोटो पहली बार मंगाई थी,
उसको देखकर मुझे नींद नहीं आई थी,
जब कहा था तुम्हारा इंतज़ार मैं करूँगा,
सातों जनम मैं बस तेरा ही रहूँगा,
जब  अपने नाम के साथ तेरा नाम लगाया था,
बहुत पूछने पर भी मैंने किसी को न बताया था,
जब मैंने अपनी बेस्ट फ्रेंड से तुम्हे मिलवाया था,
तुम्हें अपनी होने वाली लाइफ बताया था,
जब  दोस्तों को छोड़कर तुझसे  बातें था करता,
याद है न जब सबको कॉन्फ्रेंस कॉल करता,
तुम उस समय न कहकर मुस्कुराती थी,
आगे हो सकता है कहकर झूठी आशा दिलाती थी,
और कुछ याद दिलाऊँ य इसी से हो जायेगा,
मैं झूठा न था कह के तू मुस्कुराएगा.....

Vatsalyshyam


कभी न कभी

कभी न कभी तो कोई ख़ास होगा,
दूर ही सही पर दिल के पास होगा,
जो मुझसे वो हरपल बातें करेगा,
मेरी बात को वो ग़लत न कहेगा,
जिसके ख्याबों में मैं ही रहूँगा,
उसके बिना मैं भी जी न सकूँगा,
जो यूँ ही नही मेरे दिल को दुखाये,
कभी न मुझे बेवज़ह वो सताए,
मेरी गीतों में वो खुद को तलाशे,
देखूँ किसी को मुझे वो ही डाटें,
मेरे साथ जीने की कसमें वो खाए,
सातों जनम वो मेरी ही कहाए,
मैं भी किसी और का न बनूँगा,
मेरी डायरी में उसे ही रखूँगा,
मैं घंटो यूँ ही उससे बातें करूँगा,
उसके बिना मैं भी जी न सकूँगा,
मुझे वो भी समझे मुझे वो भी जाने,
मेरे गजलों को वो अपना ही माने,
अपनी धड़कनों में मुझे ही वो जाने,
यही एक मैं अब दुआ ये करूँगा,
मिले कोई जो तो मैं उसका रहूँगा....

गुरुवार, 23 मई 2019

किया जो है तुमने....

किया जो है तूने,मैं किससे कहूँगा
अब न किसी से, मैं वादा करूँगा,
तुमने हँसाया, हाँ तुमने रुलाया,
तेरे प्यार ने दिन में तारा दिखाया,
करता हूँ वादा वही करूँगा,
मेरी डायरी अब न आगे कहूँगा,
किया जो है तूने उसे माफ़ करता,
तेरे ज़ख्म को मैं अब आँसू से भरता,
मेरी न हुई तो मुझे न गिला है,
जिसको था चाहा वही तो मिला है,
सलामत रहे तू यही अब दुआ है,
मैं रो रो के ऐसे न गजलें मैं लिखता,
मेरा प्यार तुमको जो थोड़ा भी दिखता,
दुनिया मुझे अब भी तेरा बुलाए,
मेरी डायरी अब मुझे ही सताए,
करता हूँ वादा वही अब करूँगा,
मैं भी किसी से यूँ ही लड़ूँगा,
उसको मैं सपने हाँ अपने दिखाकर,
जीवन में उसके न उसका बनूँगा,
तुमने किया जो वही मैं करूँगा,
किसी से हाँ मैं टाइम पास करूँगा,
रातों की उसकी मैं नींदे चुराकर,
दिन में मैं उससे खूब ही लड़ूँगा,
न खायेगी वो तो मै कुछ न कहूँगा,
इक दिन यूँ मैं किसी का बनूँगा,
जो रोयेगी वों तो हसूंगा मैं सुन के,
मेरे ज़ख्मों पर तब मैं मलहम भरूँगा,
करता हूँ वादा है ऐसे करूँगा,
दुनिया में सबसे मैं बेवफ़ाई करूँगा,
जब तुम सुनोगी मेरी कहानी,
मेरे सपनों की अब न कोई है रानी,
जो भी मिलेगी मैं उसका बनूँगा,
किसी पे मैं फिर भी जां ये न दूँगा..

रे!पथिक

रे पथिक तू क्यों खड़ा है,
पीछे उनके क्यों पड़ा है,
जो न समझे मान तुमको,
न समझे वो जान तुमको,
क्यों नहीं अब आगे बढ़ता,
मुश्किलो से तू है निकलता,
पहले भी तो साथ छुटा,
था किसी से हाथ छूटा,
फिर नही क्यों बढ़ता है,
क्यों न आगे चलता है,
माना अबकी बात ज्यादा,
सपनों की सौगात ज्यादा,
फिर भी तुमने ये जाना,
दुनिया को फिर से न पहचाना,
किया जो वादा वो भुलाया,
मतलबी से न पार पाया,
सबने तुमको था बताया,
जीवन तेरी है इक माया,
फिर नही क्यों तू समझता,
उससे तू है प्यार करता,
अब न करना बात जग से,
जिंदगी के राज सबसे,
मान जाओ अब ये कहूँगा,
जग से कब तक यूँ लड़ूंगा,
अकेले कब तक यूँ चलूँगा,
आगे अब न मैं कहूँगा,
तेरे लिए मैं मौन रहूँगा....

जीवन में न कुछ पाया है..

घन घोर निशा का रंग चढ़ा,
सबने देखो ठुकराया है,
जिसने सबको अपनाया था,
उसको औकात दिखाया है,
वो चुपचाप हुआ है मौन,
जीवन में उसका अब है कौन?
यह सोच वो अब है धूप खड़ा ,
जीवन में अब न छाया है,
यहाँ अपना न कोई पराया है,
जीवन में न कुछ पाया है-2
उसको जिसका था संग मिला,
वो कलयुग की सब माया है,
माना उसको न पता था ये,
की सबने मक़सद सधवाया है,
जीवन में न कुछ पाया है-2,
जिसको इसने था प्यार कहा,
उसने इसको ठुकराया है
जीवन में न कुछ पाया है-2
पर उसने भी ये ठाना है,
सबको अब राह दिखाना है,
जिसने इसको औक़ात दिखाई,
उसको औक़ात दिखाना है,
उस मतलबी दुनिया से अपना,
बदला लेकर ही आना है,
जीवन में न कुछ पाया है-2

बुधवार, 22 मई 2019

जब तक हमसे...

जब तक हमसे बात नही होती,
ख्याबों में ही सही ,
पर मुलाकात नही होती,
तब तक उन्हें भी,
सबकुछ बेगाना लगता है,
मेरे बिना उनको ,
बेवज़ह मुस्कुराना पड़ता है,
डर उन्हें भी लगता है,
हमारी बेवफाई का,
क्योंकि सारा जहान उनको,
गुजरा जमाना जो लगता है,
जो बीते ज़माने ने उन्हें,
बेवज़ह तड़पाया था,
जो बेवज़ह उस बेवफ़ा ने,
रोना सीखाया था,
उसी बात से वो,
आज भी डरती है,
मेरे प्यार को भी वो,
मजाक समझती है,
वरना मेरे दिल के दर्द,
वो भी समझती है,
मेरे रूठने पर मेरी डायरी,
बेवज़ह अपनों से लड़ती है,
पर मुझ पर एतबार कर लो,
एक बार मुझसे बात कर लो,
मैं कसमें तो नही,
पर विश्वास दिलाता हूँ,
तेरे सिवाय मैं किसी को,
नज़र भी नही आता हूँ,
तुम्हारे साथ मैं वो ,
काम न करूँगा,
बेवज़ह तुमको मैं,
बदनाम न करूँगा....

The Untold Story
One Sided Lover

वात्सल्य श्याम

अबकी बार वर्ल्ड कप

वर्ल्ड कप
आज भी याद है हमें,
उस बार सबको विश्वास था,
इस बार का वर्ल्ड कप,
बहुत कुछ ख़ास था,
सचिन के सपनों का अरमान था,
धोनी को भी बनना महान था,
सबकी मेहनत रंग लाई थी,
वर्ल्ड कप जितने की बारी ,
अब हमारी आई थी,
युवराज ने रंग दिखाया था,
भारत को वर्ल्ड कप जिताया था,
इस बार भी ऐसी ही,
कुछ आस जगी है,
अबकी अपने युवाओं पर,
विश्वास जगी है,
बुमराह की यार्कर,
कौन खेल पायेगा,
कोहली के शतकों को,
कौन रोक पायेगा,
हिट मैन जो चल गया,
तो शामत आ जायेगी,
अच्छे गेंदबाजों को भी,
लानत लग जाएगी,
सिंह की दहाड़ को,
कौन झेल पायेगा,
भारत को जीतने से,
कौन रोक पायेगा,
धोनी का अबकी जलवा दिखेगा,
अंतिम जो वर्ल्ड कप है तो,
जीत कर ही रहेगा,
पांड्या, राहुल को भी,
अबकी दिखाना है,
भारत की झोली में,
वर्ल्ड कप जो लाना है,
भुवी जो गेंदों को,
स्विंग पर स्विंग करायेगा,
बड़े बड़े बल्लेबाजो की,
गिल्ली को उड़ाएगा,
शमी और अहमद भी,
अबकी बतायेगा,
भारत की मजबूती का,
वजह भी बताएगा,
शंकर भी अपना,
तांडव को दिखायेगा,
ऐसे ही नही ये विजय कहलायेगा

मंगलवार, 21 मई 2019

अबकी हमने

अबकी हमने उससे ,
न बात करने की कसम खाई है,
ख्याबो में आती है,
तो आने दो,
पर हक़ीक़त में मुलाकात,
न करने की कसम खाई है,
वो हमको ग़ैर भी नही समझती,
मेरे जज्बातों से अक्सर खेलती,
जब दिल कही न लगता,
तो हमें बुलाती,
हमें रंगीन सपने दिखाकर,
खुद किसी और का हो जाती,
उन्होंने हमारे प्यार को,
मज़ाक बना कर रख दिया,
मेरे इस हँसते दिल को,
रुला रुलाकर रख दिया,
पर अबकी न हम बात करेंगे,
सपनो का सच न बोलेंगे,
हाँ ऐसी ही कसम,
हमने आज से खाई है,
सपनो में आए तो आये,
पर मेरे दिल में,
अब न समाई है...

सोमवार, 20 मई 2019

क्या तुम्हें पता नहीं???

हर मुलाकात पर,
एक ही बात पूछती हो,
मेरे संग तुम,
सपनों की रात देखती हो,
मेरे न होने पर,
तुम जो घबराती हो,
और मेरे होने पर,
अनजान जो बन जाती हो,
फिर भी हर बार,
एक ही सवाल पूछती हो,
क्या तुम्हे पता नहीं,
तुम मेरी क्या कहलाती हो,
मुझे अपने रंग में,
सुन्दर सा सजाती हो,
मेरी हर बात को बेवज़ह,
तुम जो मानती हो,
मेरे ख्याबों पर अब,
अपना हक जताती हो,
मेरी हर कमी को,
मुझसे दूर भगाती हो,
न मिलने पर तुम,
जरा सा घबराती हो,
मिलने पर खिलखिलाकर,
यूँ ही जो मुस्कराती हो,
फिर भी हर बार,
यही बात दोहराती हो,
क्या तुम्हे पता नहीं,
तुम मेरी क्या कहलाती हो?
अपनी सारी बातें,
मुझसे ही बताती हो,
मेरे नाराज़ होने पर,
आँसू जो बहाती हो,
मेरे करीब आकर भी,
दूर जो चली जाती हो,
शायद ऐसे ही मुझसे,
अपना प्यार जताती हो,
मुझे कुछ कहने पर,
दुनिया से भीड़ जाती हो,
मेरे गुस्सा होने पर,
हक़ से समझाती हो,
फिर भी हर बार,
यही बात दोहराती हो,
क्या तुम्हें पता नही,
तुम मेरी क्या कहलाती हो?
मेरे हर दर्द में,
मलहम सा बन जाती हो,
मेरी सादगी को,
बिन कुछ कहे अपनाती हो,
मेरे साथ किसी और,
का जिक्र होने पर,
तुम जो थोड़ा घबराती हो,
फिर मुझे आँख दिखाकर,
अपने पास बुलाती हो,
और जब पास होता हूँ तो,
दूर चली जाती हो,
फिर भी हर बार,
एक ही बात दोहराती हो,
क्या तुम्हें पता नहीं,
तुम मेरी क्या कहलाती हो????

शनिवार, 18 मई 2019

सब कुछ तो है .…....

सब कुछ तो है फिर भी,
कुछ खाली सा लगता है,
तेरे न होने के अहसास से,
दुनिया सवाली सा लगता है,
सुबह चाय की शुरुआत से,
रात को तकिए से बात तक,
तेरी यादें मेरे साथ होती,
और उन यादों में अक्सर,
मेरी आँखे नम होती,
याद तो होगा ही तुम्हे,
वो जब हमे सताती थी,
सुबह सुबह ही छत पर आकर,
हमे नींदों से उठाती थी,
सुबह-दोपहर-शाम तक ,
बस एक ही बात दोहराती थी,
कब कहोगे दिल की बात,
यही कहकर शर्माती थी,
मैं भी थोड़ा घबराता था,
कहने में हिचकिचाता था,
तुझसे जुदा होने के ख़्याल से,
दिल की बात न कह पाता था,
पर शायद तुमने मेरे हालात न देखे,
तेरे जाने के बाद मेरे आँख न देखे,
उन नयनों में वो बात न देखे,
अब जरुरी तो नही था कि,
दिल की बात लफ्ज़ो से बताऊँ,
तेरे बग़ैर मैं किसी और को न चाहूँ,
कहां से लाऊँ वो लफ़्ज,
जो ये बयान दे दे की,
तेरे बगैर इस दिल की बगिया में,
किसी का फूल न खिला,
लाख कोशिश के बावजूद,
मुझे तुम जैसा न मिला....

वात्सल्य श्याम

मेरी बात