मंगलवार, 23 अप्रैल 2019

तुम्हारा कान्हा

तुम्हें ही देखूँ, तुम्हे ही चाहूँ,
तुम्हारे बिन अब, न कुछ सुनाऊँ,
तुम्हारे ख्याबों में, कल जो गुजरा,
उन्हीं पलों को, न भूल पाऊँ,
तुम्हारा कान्हा बना फिरूँ मैं,
तुम्ही को अपनी राधा बताऊँ,
न जाने कैसी लगी लगन है,
तेरे ख्यालों में हम मगन है,
तुम्हारी लत जो हमे लगी है,
उन्हों सुनो मैं कैसे सुनाऊँ,
तुम्हारा कान्हा बना फिरूँ मैं,
तुम्ही को अपनी राधा बताऊँ,
तुम्ही से कहना फिर भी छिपाऊँ,
हाल-ए -दिल अब कैसे सुनाऊँ,
कहूँ तुम्ही से तुम्हे मैं चाहूँ,
तेरे प्रेम के गीत मैं गाउँ,
तुम्हारा कान्हा बना फिरूँ मैं,
तुम्ही को अपनी राधा बताऊँ......

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