मंगलवार, 16 अप्रैल 2019

कलम अब कोई न...

कलम अब कोई न कहानी कहेगी,
तुम्हारे बिना ये चुप ही रहेगी,
सुनो साथ तेरे विदा हो रही है,
मेरी डायरी अब जुदा हो रही है,
अब न लिखूँगा चंदा की मूरत,
वो सपनों की बातें वो भोली सी सूरत,
तेरा जो हुआ था तेरा ही रहूँगा,
किसी और के संग वचन न पढ़ूँगा,
बत्तीस में चाहे बत्तीस मिलेंगे,
तेरे बिन किसी के संग न चलेंगे,
तूने किया जो उसे माफ़ करता,
घावों को अपने मैं आँसू से भरता,
कहता यही है वात्सल्य तराना,
बहुत याद आये वो गुजरा जमाना,
इसी से अब आगे कहानी बढ़ेगी,
कलम अब कभी न किसी को गढ़ेगी,
यही आखिरी ये कहानी कहेगी,
जो गुजरा उसे ये नादानी कहेगी....😢😢😢😢
वात्सल्य श्याम

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