जो कोशिश किया था वही कह रहा हूँ,
मेरी डायरी मैं तुझे पढ़ रहा हूँ,
जो आँखों ने देखा उसे तुम निभाना,
मिले कोई जो तो मुझे न भुलाना,
किसी और पर तुम हक़ न जताना,
जो वादा किया था उसे बस निभाना,
धड़कन जो तेरी कभी यूँ बढ़ेगी,
समझना मेरी रूह तुमसे मिलेगी,
मैं खुश हूं तुम्हे जो वो शेखर मिला है,
यौवन की बगिया में दीपक जला है,
कह न सका जो मुझे माफ़ करना,
तुमने कहा न, उसे याद रखना,
जितना तू रोई मैं दुगुना हूँ रोया,
तुम्हारी ही यादों में अक्सर मैं खोया,
बिना तेरे महफ़िल कभी न सजेगी,
मेरी संगिनी अब कोई न बनेगी,
जनम जो दुबारा मुझे गर मिलेगा,
हो जाऊं तुम्हारा यही वर मिलेगा,
तुम्हे ही मैं चाहूँ तुम्हारा रहूँ बस,
जीवन में तुमसा कोई न मिलेगा,
किसी से न कहना कभी ये कहानी,
कह न सका मैं जो अपनी जुबानी,
तुम्ही को मैं चाहूँ तुम्हारा रहूँगा,
मरते समय भी यही जप करूँगा,
तुम्ही मेरी राधा तुम्ही प्रेमिका हो,
तुम्हारा सिवा श्याम कोई न कहेगा,
हसती रहे तू यही कामना है,
जीवन में कोई न अब साधना है,
कोई जब तुम्हें पंडिताइन कहेगा,
संभालना मेरी बात तुमसे करेगा,
नादानी समझकर उसे माफ करना,
कभी जो कहा न वही बात कहना,
सुनो अब हूँ कहता कभी न मिलूँगा,
जीवन की बगिया में मैं न खिलूँगा,
वात्सल्य बेचारा यही अब कहेगा,
जिंदा रहा तो दुबारा मिलेगा,
जो वादा किया था उसे तुम निभाना,
जल्दी से जल्दी मुझे भूल जाना।।।।।
Vatsalyshyam
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