रविवार, 28 अप्रैल 2019

इक लड़की थी-2

इक लड़की थी, जो शर्माती थी,
मेरे ख्याब में अक्सर आती थी,
कभी हसती थी, कभी गाती थी,
वो हर रंग में भाती थी,
वो बोली थी जरा सुनते हो,
सपने संग न बुनते हो,
हमने सोचा ये बात सही,
इनका ये जज़्बात सही,
शायद सपने अब पूरे हो,
मेरे मन में जो अधूरे हो,
पर सपना मेरा अधूरा था,
बिन उसके संग न पूरा था,
हमने पूछा क्यों साथ चले,
वो न करके इठलाई थी,
पर उसकी न में भी,
आंखें कुछ तो कह जाती थी,
उन आँखों में वो बात छिपा था,
जो वो मुझसे छिपवाती थी,
वो लड़की जो शर्माती थी,
किसी और कि वो साथी थी,
हमको न खबर जो आती थी,
वो संग किसी के मुस्काती थी,
जो आती थी, वो आती है,
अब भी मुझको वो भाती है,
हर रोज़ बदलती किरणों संग,
वो साथ बदलकर जाती है....

गुरुवार, 25 अप्रैल 2019

अनकहा जज़्बात

पहली बार ये एहसास हुआ है,
कोई हमारे दिल के पास हुआ है,
वो रोज़ हमारे ख्याबों में आती है,
उनकी यादें रात भर हमें सताती है,
अपने अनकहे, अनजाने जज्बात से,
वो मेरे दिल को यूँ ही चुराती हैं,
फिर अपने अलग अंदाज से,
मुस्कुराते हुए चली जाती है,
उनका यूँ मुस्कुराता चेहरा,
मुझको पागल कर देता है,
दर्द दुनिया जो देती है उनके नाम पर,
उस पर दवा का असर कर देता है.......

Vatsaly shyam

मंगलवार, 23 अप्रैल 2019

इजहार-ए-इश्क़

शायद मैं तुम्हे समय न दें पाऊँ,
या कहने हुए मैं रुक जाऊं,
पर तुम पर मैं एतबार करूँगा,
हर दफ़ा सिर्फ तुमसे प्यार करूँगा,
जब रूठोगी तो मनाऊंगा, चांद, तारे न सही,
पर सारा जहांन तेरे कदमों में लाऊँगा,
तुम्हारी हर गलती पर मुस्कराउंगा,
न समझने पर प्यार से समझाऊंगा,
पर तुम पर एतबार करूँगा,
हर दफ़ा मैं तुमसे प्यार करूँगा,
पूरी दुनिया की सैर तुम्हे कराऊंगा,
तुम्हारे लिए जहांन से लड़ जाऊंगा,
जो आसमान हमसे कभी मांगोगी,
मैं तुम्हे अम्बर की रानी बनाऊंगा,
जो एक बार हां कर दोगी तो,
सातों जनम तुम्हारे साथ बिताऊँगा........

तुम्हारा कान्हा

तुम्हें ही देखूँ, तुम्हे ही चाहूँ,
तुम्हारे बिन अब, न कुछ सुनाऊँ,
तुम्हारे ख्याबों में, कल जो गुजरा,
उन्हीं पलों को, न भूल पाऊँ,
तुम्हारा कान्हा बना फिरूँ मैं,
तुम्ही को अपनी राधा बताऊँ,
न जाने कैसी लगी लगन है,
तेरे ख्यालों में हम मगन है,
तुम्हारी लत जो हमे लगी है,
उन्हों सुनो मैं कैसे सुनाऊँ,
तुम्हारा कान्हा बना फिरूँ मैं,
तुम्ही को अपनी राधा बताऊँ,
तुम्ही से कहना फिर भी छिपाऊँ,
हाल-ए -दिल अब कैसे सुनाऊँ,
कहूँ तुम्ही से तुम्हे मैं चाहूँ,
तेरे प्रेम के गीत मैं गाउँ,
तुम्हारा कान्हा बना फिरूँ मैं,
तुम्ही को अपनी राधा बताऊँ......

मंगलवार, 16 अप्रैल 2019

कलम अब कोई न...

कलम अब कोई न कहानी कहेगी,
तुम्हारे बिना ये चुप ही रहेगी,
सुनो साथ तेरे विदा हो रही है,
मेरी डायरी अब जुदा हो रही है,
अब न लिखूँगा चंदा की मूरत,
वो सपनों की बातें वो भोली सी सूरत,
तेरा जो हुआ था तेरा ही रहूँगा,
किसी और के संग वचन न पढ़ूँगा,
बत्तीस में चाहे बत्तीस मिलेंगे,
तेरे बिन किसी के संग न चलेंगे,
तूने किया जो उसे माफ़ करता,
घावों को अपने मैं आँसू से भरता,
कहता यही है वात्सल्य तराना,
बहुत याद आये वो गुजरा जमाना,
इसी से अब आगे कहानी बढ़ेगी,
कलम अब कभी न किसी को गढ़ेगी,
यही आखिरी ये कहानी कहेगी,
जो गुजरा उसे ये नादानी कहेगी....😢😢😢😢
वात्सल्य श्याम

सोमवार, 15 अप्रैल 2019

जो वादा किया था....

जो कोशिश किया था वही कह रहा हूँ,
मेरी डायरी मैं तुझे पढ़ रहा हूँ,
जो आँखों ने देखा उसे तुम निभाना,
मिले कोई जो तो मुझे न भुलाना,
किसी और पर तुम हक़ न जताना,
जो वादा किया था उसे बस निभाना,
धड़कन जो तेरी कभी यूँ बढ़ेगी,
समझना मेरी रूह तुमसे मिलेगी,
मैं खुश हूं तुम्हे जो वो शेखर मिला है,
यौवन की बगिया में दीपक जला है,
कह न सका जो मुझे माफ़ करना,
तुमने कहा न, उसे याद रखना,
जितना तू रोई मैं दुगुना हूँ रोया,
तुम्हारी ही यादों में अक्सर मैं खोया,
बिना तेरे महफ़िल कभी न सजेगी,
मेरी संगिनी अब कोई न बनेगी,
जनम जो दुबारा मुझे गर मिलेगा,
हो जाऊं तुम्हारा यही वर मिलेगा,
तुम्हे ही मैं चाहूँ तुम्हारा रहूँ बस,
जीवन में तुमसा कोई न मिलेगा,
किसी से न कहना कभी ये कहानी,
कह न सका मैं जो अपनी जुबानी,
तुम्ही को मैं चाहूँ तुम्हारा रहूँगा,
मरते समय भी यही जप करूँगा,
तुम्ही मेरी राधा तुम्ही प्रेमिका हो,
तुम्हारा सिवा श्याम कोई न कहेगा,
हसती रहे तू यही कामना है,
जीवन में कोई न अब साधना है,
कोई जब तुम्हें पंडिताइन कहेगा,
संभालना मेरी बात तुमसे करेगा,
नादानी समझकर उसे माफ करना,
कभी जो कहा न वही बात कहना,
सुनो अब हूँ कहता कभी न मिलूँगा,
जीवन की बगिया में मैं न खिलूँगा,
वात्सल्य बेचारा यही अब कहेगा,
जिंदा रहा तो दुबारा मिलेगा,
जो वादा किया था उसे तुम निभाना,
जल्दी से जल्दी मुझे भूल जाना।।।।।

Vatsalyshyam

बेटी विदा हो...

बस कुछ नया लिखा है आप सबके प्यार व आशीर्वाद की चाहत में ........
कमेंट करके बताइएगा जरूर

बेटी विदा हो, हुई अब पराई,
सबकी देखो है, आँखें भर आईं,
पापा की प्यारी वो सबकी दुलारी,
मां की वो गुड़िया, रानी परी थी,
बेटी विदा हो, हुई अब पराई,
सबकी देखो है, आँखे भर आईं
दादी की आँखों का तारा बनी थी,
भैया से अपने खूब वो लड़ी थी,
हुई जो पराई, उसे न भुलाना,
अब भी तुम उसको दीदी बुलाना,
नया जो कलेवर उसे अब मिला है,
पितामह का देखो गला जो रुंधा है,
घर वो है सूना, जहाँ वो पली थी,
चाची की आंखों का सुरमा बनी थी,
बेटी विदा हो, हुई अब पराई,
सबकी है देखो, आँखे भर आईं।।।।।

Vatsaly Shyam

गुरुवार, 11 अप्रैल 2019

उसको पहली बार

उसको पहली बार था देखा,
अपने घर के दरवाजों से,
कितनी भोली चाल थी उसकी,
मतवाली मस्त हवाओं में,
धीरे धीरे वो मतवाली,
आने लगी ख़यालों में,
कुछ ऐसे जैसे बरखा,
आ जाते हैं ब्यालों में,
ऐसा पहली बार हुआ था,
सब कहते थे प्यार हुआ था...
सब कहते थे कह दूं तुमसे,
अपने दिल की बात,
तेरे आने से मिला है,
खुशियों का सौगात,
मुझे हँसा कर जाती हो,
ख्याबों में जब आ जाती हो,
सारी रात सुहाने सपने,
मुझको तुम दिखलाती हो,
कब तक ऐसा यूँ ही चलेगा,
कब दोनो का दिल मचलेगा,
कब उससे तुम बात करोगे ,
सपनो का सच कब बोलोगे।।।।।

मेरी बात