मंगलवार, 24 सितंबर 2019

बताओ क्या कहलाते है???

ये रिश्ते ये नाते,
चलो सब कुछ निभाते है,
उससे पहले हम आपके,
और आप हमारे,
बताओ क्या कहलाते है??।1।

ये कसमे ,ये वादें
ये दूरियाँ ये मजबूरियां
चलो सब तोड़ आते है
उससे पहले हम आपके,
और आप हमारे,
बताओ क्या कहलाते है???।2।


ये बंधन ये चंदन,
ये रिश्तों का संगम
चलो सब तोड़ आते है
उससे पहले हम आपके,
और आप हमारे,
बताओ क्या कहलाते है???।3।

ये किस्से ये कहानियाँ,
ये प्यार की निशानियां,
चलो सब आजमाते है
उससे पहले हम आपके,
और आप हमारे,
बताओ क्या कहलाते है???।4।

वो लैला वो मजनू
वो हीर की राँझा,
चलो सब बन जाते है
उससे पहले हम आपके,
और आप हमारे,
बताओ क्या कहलाते है???।5।


ये अंगूठी ये पाजेब
ये साड़ी ये डिब्बे,
चलो सब दे आते है
उससे पहले हम आपके,
और आप हमारे,
बताओ क्या कहलाते है???।6।

ये बिरहा ये दूरी
ये पल पल की मजबूरी,
चलो सब खत्म कर आते है
उससे पहले हम आपके,
और आप हमारे,
बताओ क्या कहलाते है??।7

ये अजीज वो बदतमीज,
ये दुनिया की खीझ,
चलो सब बदल आते है
उससे पहले हम आपके,
और आप हमारे,
बताओ क्या कहलाते है??।8।

मैं पति वो पत्नी
ये रिश्तो की चटनी,
चलो मिलकर बनाते है
उससे पहले हम आपके,
और आप हमारे,
बताओ क्या कहलाते है??।9।

सोमवार, 23 सितंबर 2019

वो आज रो रही थी!!!!

वो आज रो रही थी!
कौन??
अरे वही!जिसके बग़ैर,
आजकल मुझे जीना नही आता है,
वही जो मेरी हर बात को,
दिल से लगाती है,
अरे पागल और कौन वही,
जो खुद रोकर तुमको भी रुलाती है,
अरे!और कौन वही,
जो मेरे ख्याब में अक्सर आता है,
न जाने क्यूँ वो अक्सर,
ऐसा ही करती है,
पलभर में हँसती और ,
पलभर में रो देती है!!!!
मैं उसको बदलती दुनिया तो,
कभी नही कह सकता!!!
क्योंकि वो सिर्फ मेरी है
और हमेशा रहेगी ऐसा कहा है उसने!!!!!
नही समझ पाए तुम ???
आज तक जब से वो मिली,
हम दोनों ने कभी बात भी न किया,
खुद से खुद का साथ न दिया,
उसके आगे मैं बेबस बन जाता हूँ,
सिर्फ उसी का रहना चाहता हूँ
......


वात्सल्य श्याम

मंगलवार, 17 सितंबर 2019

तू ही मेरे जीने का जरिया हो गया....

वो सबसे छिप कर तुझसे बातें करना,
तेरे कॉल के इंतजार में रात भर जगना,
यही मेरे जीने का जरिया हो गया,
मेरी बदलती जिंदगी का नजरिया हो गया।1।

पलभर की बातों को घंटों तक बताना,
जरा सा देर होने पर प्यार से समझाना,
इक़रार इजहार में अब ढलते शाम को बिताना,
सुबह उठकर फिर से तेरी याद में ढल जाना,
यही मेरे जीने का जरिया हो गया,
मेरी बदलती जिंदगी का नजरिया हो गया ।2।

बातों बातों में तेरा जोर जोर से खिलखिलाना,
बिना कुछ बोले अपनी तारीफ़ पर शर्माना,
डर के आगे जीतने का जज़्बा दिखाना,
अपने प्यार में सबकुछ भूल जाना,
फिर वही किस्सा दोबारा दोहराना,
आपसे बात करने का नया सा बहाना,
यही मेरे जीने का जरिया हो गया,
मेरी बदलती जिंदगी का नजरिया हो गया ।3।

वो पल पल की यादों में सिमटकर के रोना,
विरह के मौसम में यादों का कोना,
मेरे हर किस्से में तेरा जिक्र होना,
यादों में तेरी अक्सर अब खोना,
मेरे दोस्तों में अब  तेरी बात होना,
तेरा नाम आने पर यादों में खोना,
यही मेरे जीने का जरिया हो गया,
मेरी बदलती जिंदगी का तु ही नजरिया हो गया ।4।

वात्सल्य श्याम
SST

रविवार, 15 सितंबर 2019

मैं कसमें वादें

मैं कसमें वादें सबकुछ बनाये रखूंगा,
जो तेरा बना हूँ ताउम्र तेरा ही रहूँगा,
नजदीक तू नही तो क्या हुआ,
तेरी हर याद को अपने सिरहाने रखूँगा,
शहर को अपने वीरान बनाये रखना,
जब आऊंगा तो सूरज बन के जल जाऊँगा,
जो काजल लगाया उसको  आँखों में बनाये रखना,
आने पर तुम्हे शमा बुझने तक तकुंगा,
दुकानें आती है तो आने दो ,
पर तेरे इश्क़ की गली में ही अपने दिल के बाजार बनाएं रखूँगा,
चेहरा नम न रखूँगा ये दूरियाँ समझकर,
अपनी महफ़िल में तुमको बनाये रखूँगा,
पर तुम्हे भी मुझ पर एतबार रखना होगा,
दूर होकर भी अपने दिल के पास रखना होगा,
हुए होंगे कई लैला मजनु पर इन सबसे अलग,
इश्क़ की दुनिया मे इतिहास बनाए रखना होगा..........


वात्सल्य श्याम

#SST

रविवार, 8 सितंबर 2019

मैं गीतों में तुमको...

मैं गीतों में तुमको गाने लगा हूँ,
वजह तो नही मुस्काने लगा हूँ,
तेरा नाम सुनकर शरम अब है आती,
मेरे ख्याब में आकर अब है सताती,
तेरी बातों को अब मैं सुनने लगा हूँ,
महफिल में तुझको मैं बुनने लगा हूँ,
कहो तो तुम्हे अब मैं चन्दा कहूँगा,
कान्हा के जैसे अब मैं लीला करूँगा,
प्रेम के राग का मैं भी तर्पण करूँगा,
विरह गीतों का मैं भी अर्पण करूँगा,
सातों जनम की कसमें मैं खाऊं,
तेरा साथ पाने को मंदिर मैं जाऊँ,
न जाने कैसे मैं तुम्हे ये बता दूँ,
तेरे नाम मे अपना सरनेम लगा दूँ,
तुम्ही अब बताओ कि कैसे कहूँ मैं,
किस्से कहानी दिल के किससे कहूँ मैं,
तुम्ही अब बताओ तुम्ही अब सुनाओ,
महफ़िल में अपनी मुझे अब बुलाओ...

वात्सल्य श्याम

वो लड़की

जिम्मेदारियों से अपने अब वो बेचैन होगी,
पता लगा है अबकी बार वो 12th में होगी,
अपने आने वाले कल के ख्याब वो सजाई होगी,
मैं तो नही हूँ पर शायद मेरी यादों को उसमें बुलाई होगी,
सफल,असफ़ल , अच्छाई, बुराई अब सब कुछ तो  मिलेगा,
इसीलिए वो अब मन में थोड़ा सा घबराई होगी,
हो सकता हो माँ बाप ने जिंदगी के बारे में बतलाया होगा,
वजह यही है तभी तो कठिनाइयों को देख मुस्कुराई होगी,
पहले ही उसने इस दुनिया मे जीना सीख लिया होगा,
तभी तो मेरे इक़रार को वो इस तरह वो ठुकराई होगी,
ख़ैर कारण व परिणाम चाहे जो कुछ भी रहा होगा,
पर हर वक़्त मेरी शायरियों में खुद को पाई होगी,
और इन्ही  को देख वो रात भर आंखों को भीगाई होगी......

बुधवार, 4 सितंबर 2019

आदर्शों का अभिवादन

ज्ञान दिया, अभिमान दिया,
अज्ञानी को पहचान दिलाया,
कभी कभी जब राह भटकता,
पकड़ कलम तब मुझे चलाया,
ऐसे गुरुओं को वन्दन है,
उनके चरणों मे अभिनंदन है,
सातों जनम मैं ऋणी रहूँगा,
उन्हें सदा ही ध्येय कहूँगा..

मेरे सारे अध्यापकों व आदर्शों को मेरा शत शत प्रणाम...

🙏🙏🙏
वात्सल्य श्याम
युवा कवि, लेखक.

मंगलवार, 3 सितंबर 2019

कहो प्रिये क्या याद न आती

कहो प्रिये क्या याद न आती,
तुमको अब तो मेरी ,
कहो तुम्ही क्या अब न होती,
उन शामों को  देरी,
कहो फ़िकर क्या अब न होती,
जानू जाने जानाँ,
तुमको सूरज चाँद कहा था,
माना था इक तारा,
तेरी राह अभी भी तकता,
ये पागल बंजारा,
तुमने कहा था तुम अपनाओ,
मुझको अपना गीत बनाओ,
कहो की क्या अब गीत न गाऊँ,
भूला बिसरा न दोहराऊं,
सब कहते है भूल गई तुम,
तुम भी उसको याद न करना,
अपने ग़ज़ल की शायरियों में,
प्रीतम प्रीतम न रटना,
कहो तुम्ही अब ये तो बता दो,
क्या तुमको अब मैं बिसराउँ,
बिरहा वाले गीत ग़ज़ल को,
तेरी याद मैं भी गाऊँ,
पर तुमको तो खबर ये होगी,
बिन तुमको किसे सपने  सुनाऊँ,
कहो तुम्ही मैं अपनी राधा,
किस भामा को बतलाऊँ,
कहो प्रिये याद न आती ,
बाते अब तो मेरी,
कहो तुम्हे क्या अब न सताती,
सूरत अब वो मेरी.....

सोमवार, 2 सितंबर 2019

अनकही दास्ताँ

आज यूँ ही मुझे तेरी याद आ गई,
वो यादें जो कुछ दिन के लिए ही,
पर मेरे जिंदगी का एक अहम हिस्सा है,
चाहे मैं दुख में रहूँ या सुख में,
उन यादों को याद किए बगैर,
मेरी रात कटती नही है,
याद है न जब हमें किसी का,
डर नही  होता था,
तुम मेरी आँखों के सामने,
और मैं तुम्हारे दिल में होता था,
क्या दिन क्या रात,
हर वक़्त बस तेरी बात,
पुरे मोहल्ले को पता था कि,
हमें करनी है आपसे बात,
वही बात जो सब जानते थे,
सब तुमको हमारा मानते थे,
अक़्सर तुम्हारा नाम लेकर,
लोग हमें सताते थे,
और हम भी तो,
 तुम्हारे नाम को  सुनकर,
बेवज़ह मुस्कुरातें थे ,
याद है तुम्हे वो जब मैं रूठा था,
बिना कुछ कहे मैं तुमसे टूटा था,
तुमने मुझे बड़े प्यार से समझाया था,
और बिन कुछ कहे इशारों में,
हमे उस बात को बताया था
 ऐसे ही कुछ बीते लम्हों  को,
आज भी मैं जब याद करता,
कभी रोता तो कभी हँस पड़ता,
पर आज भी मेरे दिल में,
बस तू ही बसती है,
चाहे जो आये मेरी जिंदगी,
तेरे सिवाय मेरी आँखों को,
कोई और  न जंचती है.....

अनकही दास्ताँ.....


वात्सल्य श्याम

मेरी बात