शुक्रवार, 4 मई 2018

इक याद...

कैसे कहूंगा किसी और से,
तेरे बिना अधूरा हूं,
हमने जो ख्वाब देखा था,
उनके बगैर मैं पूरा हूं,
कैसे कहूंगा अपनी खुदगर्जी से,
मैं तो निकल चुका हूं,
तेरे बिना मेरी पंडिताइन,
मैं चाहकर भी न पूरा हूं,
कैसे बचूंगा उस शाम से,
जो याद तेरी दिलाएगी,
तेरे बगैर मेरी जिंदगी,
मुझे नींद कहां आएगी,
उस वक्त मैं रो पडूंगा,
जब याद तेरी आएगी,
दिल से मैं क्या कहूंगा,
मैं तो बदल चुका हूं,
उन पतझड़ो के मौसम से,
मैं तो संभल चुका हूं,
धड़कनों से क्या कहूंगा,
जब हाल तेरा ये पूछेंगी,
कैसे कहूंगा उन से मैं,
हमको खबर न उनकी,
जिनके बगैर मेरी,
सांसें कभी न चलती,
कैसे कहूंगा मैं खुद से,
हममें इतनी गुरबत न थी,
दुनिया से लड़कर मैं कहता,
पगली तू ही सही थी............
#vatsalyshyam

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