गुरुवार, 31 मई 2018

हंसता था तो.......

हंसता था तो लोग,
मुझे रूलाने आते थे,
गाता था तो लोग,
मुझे चुप कराते थे,
कुछ ऐसा था मुझमें,
कि लोग अक्सर मुझमें,
कुछ कमियां निकालते थे,
लोग कहते मुझसे अक्सर,
अपने मन की करो,
जब मन की करता,
तो लोग जाने क्यूं,
मुझसे नाराज़ हो जाते,
फिर भी मैं अक्सर,
हंसकर था टाल देता,
दुनिया के धक्के हम तो,
हंसकर था सम्भाल लेता,
पर अब मैं भी,
टूट सा गया हूं,
मेरी जिंदगी तुझसे मैं,
अब रूठ सा गया हूं।।।।।
Vatsalyshyam

मंगलवार, 29 मई 2018

तुम ना आते

तुम ना आते तो,
जिंदगी में कोई गम ना होता,
अक्सर मैं यूं अकेला गुमसुम,
किसी कोने में ना सोता,
तुम ना आते तो,
कोई यूं मुझे बदनाम ना करता,
तेरे मेरे चर्चे यूं सरेआम ना करता,
अच्छा होता जो तुम ना आते,
कम से कम मैं हंसता तो होता,
तुम ना आते तो बेरूखा सा,
अपनी जिंदगी को यूं सूखा सा,
अक्सर तेरी यादों में आके,
अपनी आंखों को जल से भीगा के,
तेरे ख्यालों में रात भर ना होते,
तुम ना आते तो जिंदगी का,
अंदाज ही अलग मेरे होता.....
Vatsalyshyam

रविवार, 6 मई 2018

मुश्किलों सा जीवन अपना

मुश्किलों सा जीवन अपना,
कैसे तुम्हें बताऊं मैं?
विद्यार्थी जीवन है अपना,
कैसे तुम्हें दिखाऊं मैं?
कभी हार है, कभी जीत है,
इससे सच्ची न कोई प्रीत है,
चाहत है उन्मुक्त गगन के,
उन शिखरों पर चढ़ जाऊं मैं,
मुश्किलों सा जीवन अपना,
कैसे तुम्हें दिखाऊंमैं?
कहीं छिपाता, कहीं दिखाता,
नित नए ये सपने सजाता,
उन सपनों के खंडन पर,
खुद को विचलित पाऊं मैं,
मुश्किलों सा जीवन अपना,
कैसे तुम्हें दिखाऊं मैं?
मेरी हार पर जग हंसे है,
शब्द न फूटे, जब शिखर पाऊं मैं,
हार जीत तो होती रहती,
दुनिया को क्यों समझाऊं मैं,
मुश्किलों सा जीवन अपना,
कैसे तुम्हें दिखाऊं मैं?
कुछ न बोलूं उस वक्त तक,
जब तक सपने न पाऊं मैं,
मुश्किलों सा जीवन अपना,
कैसे तुम्हें दिखाऊं मैं???
#vatsalyshyam

शुक्रवार, 4 मई 2018

तेरे इशारों को...

तेरे इशारों को मैं,
समझ न पाता हूं,
क्योकिमैं तुझे देखते ही,
कहीं और खो जाता हूं,
लोग जाने कैसे करते हैं,
इज़हार-ए-इश्क,
मैं जब भी सोचता हूं तो,
डरकर वापस आ जाता हूं,
डरता हूं कि कहीं,
तू मुझे बदनाम न कर दे,
मेरे इश्क के लफ़्ज़ों को,
तू सरेआम न कर दे,
कह दे तू वही बात,
जो मैं नहीं चाहता हूं,
बिछड़ने से डर लगता है,
इसीलिए कभी कह न पाता हूं,..........
#vatsalyshyam

इक याद...

कैसे कहूंगा किसी और से,
तेरे बिना अधूरा हूं,
हमने जो ख्वाब देखा था,
उनके बगैर मैं पूरा हूं,
कैसे कहूंगा अपनी खुदगर्जी से,
मैं तो निकल चुका हूं,
तेरे बिना मेरी पंडिताइन,
मैं चाहकर भी न पूरा हूं,
कैसे बचूंगा उस शाम से,
जो याद तेरी दिलाएगी,
तेरे बगैर मेरी जिंदगी,
मुझे नींद कहां आएगी,
उस वक्त मैं रो पडूंगा,
जब याद तेरी आएगी,
दिल से मैं क्या कहूंगा,
मैं तो बदल चुका हूं,
उन पतझड़ो के मौसम से,
मैं तो संभल चुका हूं,
धड़कनों से क्या कहूंगा,
जब हाल तेरा ये पूछेंगी,
कैसे कहूंगा उन से मैं,
हमको खबर न उनकी,
जिनके बगैर मेरी,
सांसें कभी न चलती,
कैसे कहूंगा मैं खुद से,
हममें इतनी गुरबत न थी,
दुनिया से लड़कर मैं कहता,
पगली तू ही सही थी............
#vatsalyshyam

मेरी बात