सोमवार, 22 जनवरी 2018

कैसे कहूं

कहना तो बहुत कुछ है,
पर कह नहीं पाता हूं,
तेरे बगैर अब कहीं रह नहीं पाता हूं,
यादें तेरी हरपल मुझे सताती है,
किससे कहूं कि तेरे बगैर अब रह नहीं पाता हूं,
लोग सोचते हैं कि मैं बीमार हुं,
इसीलिए हर रोज डाक्टर बुलाते हैं,
कैसे कहूं कि ये बीमारी लाइलाज है,
चाहकर भी ये बात किसी से कह नहीं पाता हूं,
दिन भर तो तू साथ होती है,
पर रातों को अक्सर उठकर बैठ जाता हूं,
लोग समझते हैं कि मुझमें आक्सिजन की कमी है,
पर मैं तो तेरे बगैर खुली हवा में भी सांस ले न पाता हूं,
कैसे कहूं कि तेरे बगैर जिन्दगी अधूरी है,
उस अधूरेपन में तूझे ही पाता हूं।

@Vatsalyshyam.

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