शनिवार, 12 अक्टूबर 2019

पिता जी.....

शायद कभी मैं ये कह न पाऊँ,
पर अपनी हर परेशानी में मैं,
ख़ुद से ज्यादा आपको दुखी पाऊँ,
मुझे आज भी याद है कि,
बचपन में मैं जब कभी,
मैं बीमार होता था तो,
रात भर आपका हाथ,
मेरे सर के पास होता था,
 याद है आपको वो जब,
मेरी वजह से आप यूँ ही,
रात भर न सोये थे,
मेरे पास न होने पर,
आप भी तो रोये थे,
मेरे हर गलती पर,
मुझे डाँटकर समझाते थे,
और मेरी नाराज़गी पर,
मुझे बड़े प्यार से,
अपने पास बुलाते थे,
मेरे ख्याबों को आपने,
अक्सर हक़ीक़त में बदला,
मुझे पता है आपने ,
मेरी वज़ह से घर बदला,
मेरे एक शिकायत पर,
सारे जहान से लड़े थे,
मेरे साथ साया बनकर,
हर वक़्त खड़े थे,
शब्द नही है मेरे पास,
की मैं आप का गुणगान करूँ,
बस यही दुआ है कि,
मैं सारी जिंदगी आपका,
भगवान से बढ़कर सम्मान करूँ,
कभी जनम लूँ दोबारा,
तो आपका प्यार मिले,
ऐसी अर्जी है मेरी,
सातों जनम आपका,
ऐसा ही साथ मिले....

A Tribute To All Father's Of World..


रविवार, 6 अक्टूबर 2019

जमाने की सच्चाई..

मन समझ न पाया अब तक ये,
कैसा है जग का रंग भला,
परिणाम रहे अनुकूल तुम्हारे,
तुमसे प्यारा कोई और नही,
प्रतिकूल चुनौती मिली तुम्हे,
काँटा हो तुम कोई फूल नही,
सफल यदि तुम होते हो,
तुमसे संबंध बनाता है,
विपदा हो जो आन पड़ी,
तुम कौन हो ये दोहराता है,
पल भर मे तेरे साथ खड़ा,
पल भर में है ये दूर पड़ा,
मन समझ न पाया अब तक ये,
कैसा है जग का रंग भला,
है कौन तुम्हारा कौन पराया,
पल भर में पता चल जाता है,
विपदा जब पाँव जमाती है,
सम्बन्धी भूल ही जाता है,
यदि पैसे से हो जेब भरी,
दुख दर्द तुम्हारे सह लेगा,
जो निर्धन बनकर जाओगे,
दुत्कार तुम्हे ये हँस देगा,
मन समझ न पाया अब तक ये,
कैसा है जग का रंग भला,
इक बात कहूँ तुम सबसे मैं,
कर्तव्य हमेशा करते ही रहो,
सफल असफल इक पहिया है,
अमावस में अकेले जगते रहो,
दिनकर कभी तो निकलेगा,
ये रात्रि पहर भी बिछड़ेगा,
जब नया सवेरा आएगा,
जग गीत तुम्हारे गाएगा,
तुम सच्चाई की राह चलो,
झक मार के मंजिल आएगा,
मन समझ न पाया अब तक ये,
कैसा है जग का रंग भला।।।।।।

बुधवार, 2 अक्टूबर 2019

मैं ऐसे अकेले...

मैं ऐसे अकेले न गुपचुप सा सोता,
जो तुमने हमें यूँ भुलाया न होता,
मुझे न पता था फ़रेबी है दुनिया,
झूठी ही मुझसे मिलती थी अखियाँ,
तुम्ही ने था मुझसे वादा किया जो,
मुझे तुम गीतों गज़लों में साजों,
हमारी तड़प को था तुमने बढ़ाया,
वात्सल्य बेचारा समझ भी न पाया,
पता न था ऐसे तुम भी करोगी ,
झूठे थे वादे  व कसमें कहोगी,
कभी न भूलूँ जो तुमने किया है,
फ़रेबी है दुनिया बता जो दिया है,
उस दिन था रोया था आँखे पिरोया,
तेरे ख्याब आके कोई जब था सोया,
यही था जो करना तो क्यूँ दिल लगाया,
मेरे साथ सपनों को क्यों था बसाया,
निभाना नही था तो वादा किया क्यों,
इरादा नही था तो साथी कहा क्यों,
हमारे यकीं को था तुमने जो तोड़ा,
अभी तक किसी ने उसे न है जोड़ा,
मेरा दिल है रोता बहुत दर्द होता,
तेरी याद आती तो रातें न सोता,
तुम्हारी अभी भी शामें वही है,
मैं तो नही कोई और भी हसीं है,
मेरा क्या है मैं तो ऐसे ही रोता,
तेरी ही यादों में अब भी हूँ खोता.....

मेरी बात