बुधवार, 14 मार्च 2018

विप्लव के दीपक प्रौढ़ रे..........

चल अपने पथ की ओर रे,
विप्लव के दीपक प्रौढ़ रे,
कल तक जब कहीं सहारा था,
जीवन में सबकुछ प्यारा था,
घनघोर घटा अब आई है,
विपदा के बादल लाई है,
जो साथ तुम्हारे होते थे,
इस मन के जो मनुहारे थे,
विप्लव के काले बादल ने,
उन सबको है तोड़ दिया,
पत्तों वाला वो आशियाना भी,
काले बादल ने तोड़ दिया,
जिनको तुमने सूरज माना ,
चंदा के संग तारा जाना,
वो दिनकर के संग डूब गए,
तारों के संग टूट गए,
वो काल के संग छूट गए,
विपदा के संग वो टूट गए,
विप्लव के दीपक प्रौढ़ रे,
चल अपने पथ की ओर रे!!!!
#vatsalyshyam

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