गुरुवार, 15 मार्च 2018

क्या हुआ था बीते कल में.....

क्या हुआ था बीते कल में,
क्यों सोच मुसाफिर न बढ़ता,
जब चलता है तो डरता है,
पग दृढ़ता से न रखता है,
पांवों में फिर से चोट लगे,
या फिर से प्यासा गला जले,
पर अबकी न पग थकना है,
मंजिल मिलने तक न रूकना है,
हर दिन इक नया सवेरा है,
विप्लव ने जिसको घेरा है,
जो बिखर गया था घर अपना,
अब उसको हमने समेटा है,
माना मन में कुछ शंका है,
इस जग ने जिसे कुरेदा है,
पर मन की यही अभिलाषा है,
पूरी करनी यह आशा है,
छोटी चिड़िया क्या रूकती है,
जब हवा ने उसका घर तोड़ा,
या इक हार से डरकर,
वीर प्रताप ने लड़ना छोड़ा,
फिर से बना आशियाना था,
नन्ही चिड़िया ने ठाना था,
राणा ने भी चित्तौड़ फिर,
विजय पताका ताना था।।।।।।

#vatsalyshyam

बुधवार, 14 मार्च 2018

विप्लव के दीपक प्रौढ़ रे..........

चल अपने पथ की ओर रे,
विप्लव के दीपक प्रौढ़ रे,
कल तक जब कहीं सहारा था,
जीवन में सबकुछ प्यारा था,
घनघोर घटा अब आई है,
विपदा के बादल लाई है,
जो साथ तुम्हारे होते थे,
इस मन के जो मनुहारे थे,
विप्लव के काले बादल ने,
उन सबको है तोड़ दिया,
पत्तों वाला वो आशियाना भी,
काले बादल ने तोड़ दिया,
जिनको तुमने सूरज माना ,
चंदा के संग तारा जाना,
वो दिनकर के संग डूब गए,
तारों के संग टूट गए,
वो काल के संग छूट गए,
विपदा के संग वो टूट गए,
विप्लव के दीपक प्रौढ़ रे,
चल अपने पथ की ओर रे!!!!
#vatsalyshyam

मेरी बात