ख़ुद से ख़ुद का लड़ना सिख लिया है,
मैंने अब तो जीना सीख लिया है,
क्यों गैरों से कहता फिरुँ मैं,
अपनों की वो दर्द कहानी,
ख़ुद को ही इतना समझाऊं,
कोई नही तू कर मनमानी,
इतनी जल्दी क्यों हारूँ मैं,
जिंदा ख़ुद को क्यों मारूँ मैं,
माना कोई नही खड़ा है,
संघर्ष समय जो अभी भीड़ा है,
पर ख़ुद भी तो चलना सीखो,
अपनों से भी लड़ना सीखो,
सही कहे जो ग़लत तरीके,
तो उनसे तुम लड़ना सीखो,
कब तक यूँ ही सुनते रहोगे,
ख़ुद से ही तुम लड़ते रहोगे,
तुमने भी तो सपना देखा,
अपने जीने का वो तरीका,
तो क्यों तुम चुप रहते हो,
दुनिया से न कहते हो....
परिचय नाम-सुधांशु तिवारी "वात्सल्य श्याम" मोबाइल नंबर- 8858986989 सोशल मीडिया- vatsalyshyam
रविवार, 2 जून 2019
लड़ना सिख लिया है...
सदस्यता लें
संदेश (Atom)
-
जागकर के वो मेरी प्रीतम, अपने दिल को मुझको सुना दो, हाल दिल का उधर भी यही है, इक बार फिर से किस्सा बता दो।। रात भर तुमसे बातें वो करना...
-
वो आज रो रही थी! कौन?? अरे वही!जिसके बग़ैर, आजकल मुझे जीना नही आता है, वही जो मेरी हर बात को, दिल से लगाती है, अरे पागल और कौन वही, ज...
-
ये रिश्ते ये नाते, चलो सब कुछ निभाते है, उससे पहले हम आपके, और आप हमारे, बताओ क्या कहलाते है??।1। ये कसमे ,ये वादें ये दूरियाँ ये मज...