रविवार, 2 जून 2019

लड़ना सिख लिया है...

ख़ुद से ख़ुद का लड़ना सिख लिया है,
मैंने अब तो जीना सीख लिया है,
क्यों गैरों से कहता फिरुँ मैं,
अपनों की वो दर्द कहानी,
ख़ुद को ही इतना समझाऊं,
कोई नही तू कर मनमानी,
इतनी जल्दी क्यों हारूँ मैं,
जिंदा  ख़ुद को क्यों मारूँ मैं,
माना कोई नही खड़ा है,
संघर्ष समय जो अभी भीड़ा है,
पर ख़ुद भी तो चलना सीखो,
अपनों से भी लड़ना सीखो,
सही कहे जो ग़लत तरीके,
तो उनसे तुम लड़ना सीखो,
कब तक यूँ ही  सुनते रहोगे,
ख़ुद से ही तुम लड़ते रहोगे,
तुमने भी तो सपना देखा,
अपने जीने का वो तरीका,
तो क्यों तुम चुप रहते हो,
दुनिया से न कहते हो....

मेरी बात