मंगलवार, 18 दिसंबर 2018

अधूरा लफ़्ज

अब तो चाँद तारों से,
रोज बात होने लगी है,
उगते सूरज की वो चाय,
मोहतरमा की याद में आकर,
अक्सर ठण्डी होने लगी है,
हर रात सिरहाने पर,
उनकी मीठी यादें दबाए,
मैं गुजारने लगा हूँ,
सुन लो ऐ चाँद सितारों,
मै भी अब किसी से,
इश्क़ फरमाने लगा हूँ,
ढलता सूरज, उनकी याद,
मेरी नादानी हो गई है,
मेरे पहले प्यार की,
यही कहानी हो गई है।।।।
© अधूरा लफ्ज़
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