रविवार, 31 दिसंबर 2017

नववर्ष

नववर्ष नवल कुछ ला रहा,
नवकिरणें हमको दिखा रहा,
बढ़ चले हम पथ की ओर,
नववृंद भी ऐसा चाह रहा,
जो बीत गया वो बात गई,
दिनकर के संग वो रात गई,
चल नई सुबह हम लिखते हैं,
फिर नई सोच को बुनते हैं,
संकल्प नया, संघर्ष नया,
चल साथ साथ हम चलते हैं,
नववर्ष के नव उजियारे में,
हम नए पथों को बुनते हैं,
चल चलते हैं, चल चलते हैं!!!!
#New Goal For New Year
@vatsalyshyam

Happy New Year 2018

नववर्ष में नई खुशी हो,
ये वर्ष कामयाब गली हो,
शिकवे सबसे दूर हो,
हमारे होंठों की ऐसी हसी हो!!!!!!
#Happy New Year 2018
@vatsalyshyam

शायरी4

वो जो मेरी डायरी है ना,
वो भी तेरा दीदार चाहती है,
तेरे लिए इतना लिखा हुं कि,
वो भी अब हम दोनों में प्यार चाहती है!!!!!
@vatsalyshyam

शायरी3

तेरा दरस पाने को जी चाहता है
खुदी को मिटाने को जी चाहता है
इस दिल में उठा जो #मोहब्बत का दरिया
मेरा डूबजाने को जी चाहता है
यह दुनिया है सारी नज़र का ही धोखा
तेरे पास आने को जी चाहता है
पिला दे मुझे मस्ती का प्याला
तेरी मस्ती में आने को जी चाहता है
@vatslyshyam

शुक्रवार, 7 अप्रैल 2017

राष्ट्र सेना

कल मिले थे लोग मुझको,
कर रहे थे मन सशंकित,
दूर निर्जन वन न जाना,
काँटों से वो पथ भरा है,
लक्ष्य तुम्हारा है जहाँ पर,
वो धरा रक्त से सना है,
लोग देते दान जीवन,
मृत्यु के उस देवता को,
राष्ट्र सेना में न जाना,
कंधे मिलना ही लिखा है,
पर मेरा तन मन ये कहता,
राष्ट्र सेना को समर्पित,
है मेरा जीवन ये सारा,
चाहकर भी न रूकुँगा,
मृत्यु से मैं भी लडुँगा,
राष्ट्र के हर अस्मिता की,
हर कदम रक्षा करूंगा,
सरफरोशी गीत गाकर,
वन्दे मातरम कहुँगा !!!!
जय हिंद :जय भारत
सुधांशु तिवारी "श्याम "

मैं अकेला

मैं अकेला,
पथ का पथिक हुँ,
इस भरे संसार में,
जाना मुझको दूर तक है,
उस लक्ष्य के बाजार में !
कुछ बलाते,कुछ डराते,
कुछ तो चाहते हैं फसाना,
इस मोह, माया जाल में,
पर मेरा जीवन समर्पित,
इस लक्ष्य के बाजार में !
मैं अकेला! मैं अकेला! मैं अकेला!

सुधांशु तिवारी "श्याम "

रविवार, 19 फ़रवरी 2017

Naya vars


Sudhanshu
नवकिरणें हमको बता रही, कुछ ख्वाब हमे वो दिखा रही, पूरब से मृदु को बजा रही , शंखनाद को गूजा रही, कुछ किरणें हमको बता रही , मन से निशा को भगा रही, वो कुंज ज्योति के जगा रही, दिल मे जोश को जगा रही, नवनिर्मित भारत दिखा रही, संकल्प हमें ये दिला रही, वो मंद रहे किंचित स्वर से, रसधारा अमृत गिरा रही , भारत मां के जगजीवन से, आशावादी को दिखा रही, देख रही दुनिया हमको, ऐसा वो कुछ बता रही, फिर स्वर्ण राग वो दिखा रही, जगजीवन को वो जगा रही, नवकिरणें हमको बता रही, कुछ ख्वाब हमें वो दिखा रही,! सुधांशु तिवाऱी

Up Se Bol Raha Hu Mai

यूपी से बोल रहा हूँ मै,अन्तरमन खोल रहा हूँ मै,
टीपू नेता से न कह पाया ,पर तुमसे बोल रहा हुँमै,
तुमने यूपी मे राज किया,इटावा सैफई का विकास किया,
केवल अपनो को पास रखा,जनता पर ना विश्वास किया,.
दंगो पर कुछ न बोले तुम,अपने मन को न खोले तुम,
.जब जनता सारी जान चुकी,.कथनी करनी पहचान चुकी,
तब नाटक क्यों तुम करते हो,अपने पापा से लड.ते हो,.
अब अपनी गलती को मान लो सब बातों को तुम जान लो,.
हम नेकी वाले सच्चे दिल हैंतुमको माफी दे देगें हम, 
दया भाव को दिखलाकर,सौ पचास सीट दे देगें हम,
ये जनता है सब भूला है देती,झूठो को शासन देती है,
इस बार से लेकिन याद. रखो,जब आओ तो सम्मान रखो,
इस मिट्टी की पहचान रखो,हर मजहब का सम्मान रखो,

हर वर्ग जाति पर विश्वास रखो..
रचनाकार-सुधांशु तिवारी

मेरी बात